Hindi Newsविदेश न्यूज़Bangladesh Several dead bodies killed during protests buried unidentified

आंदोलन में मारे गए लोगों को नहीं मिला कोई अपना, बांग्लादेश में 56 लाशें बिना पहचान दफन

  • बांग्लादेश में पिछले महीने हुए छात्र आंदोलन के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद अब तक कम से कम 56 लोगों को अज्ञात के तौर पर दफनाया गया है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाMon, 26 Aug 2024 05:26 AM
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पिछले महीने पूरे बांग्लादेश में माहौल अस्त-व्यस्त रहा। छात्र आंदोलन से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने देखते ही देखते बांग्लादेश की आजादी के बाद हुए सबसे उग्र राजनीतिक आंदोलन की जगह ले ली। यहां तक की 15 साल से प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को पद और देश दोनों छोड़कर भागना पड़ा। उग्र प्रदर्शन के दौरान इस आंदोलन में सैकड़ों लोगों की जानें भी गई। इन मौतों के लिए पूर्व पीएम हसीना को जिम्मेदार ठहराया गया है और उन पर प्रदर्शन दबाने के लिए हिंसक तरीके प्रयोग करने का आरोप है। इस बीच आंदोलन के दौरान मारे गए शवों को अपनों का इंतजार है। अब तक 56 शवों को बिना किसी पहचान के दफन किया जा चुके हैं।

ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन आंकड़ों में और बढ़ोतरी भी हो सकती है। ढाका स्थित डीएमसी मुर्दाघर के सहायक ने बताया है कि डीएमसी में अभी आठ अज्ञात शव हैं। इनमें से सात शव ऐसे हैं जो आंदोलन में मारे गए थे। इनमें से एक शव नवजात बच्चे का है। यहां रोज लोग अपनों की तलाश में मुर्दों की पहचान करने के लिए अस्पताल आ रहे हैं। परिवार का कहना है कि इनके संबंधी आंदोलन के दौरान बाहर निकले और घर नहीं लौटे। उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि वे जिंदा हैं या नहीं। हालांकि इन आठ शवों में से किसी की भी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।

मारे गए लोगों में अधिकतर 25 साल से कम उम्र के

डीएमसी में फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर काजी गुलाम मुखलेसुर रहमान ने ढाका ट्रिब्यून को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर मौतों की वजह गोली लगने से घाव, सिर में चोट, आंतरिक रक्तस्राव और पूरे शरीर पर गंभीर चोटें थीं। डीएमसी अधिकारियों ने 16 अगस्त तक आंदोलन के दौरान मरने वाले 121 लोगों का पोस्टमार्टम किया है। ज़्यादातर मौतें गोली लगने से हुई हैं। मृतकों में से 50% 25 साल से कम उम्र के थे और बाकी ज़्यादातर 30 से ऊपर के थे। प्रोफेसर रहमान ने कहा कि शव सड़ रहे थे जिसके कारण पोस्टमार्टम करना पड़ा।

‘एक साथ इतनी कब्रें खोदना हो गया था मुश्किल’

शव को दफन करने वाली संस्था अजनुमान मुफिदुल इस्लाम दफन सेवा के अधिकारी कमरुल अहमद ने बताया कि 22 जुलाई से 18 अगस्त तक ढाका के चार अस्पतालों से पुलिस के ज़रिए कुल 56 अज्ञात शव आए हैं। उन्होंने माना है कि लावारिस शवों की संख्या सामान्य से ज़्यादा थी। कब्रिस्तान के एक केयरटेकर ने बताया, "जुलाई के आखिरी 10 दिनों में एक घंटे के अंदर इतनी सारी कब्रें एक साथ खोदना मुश्किल हो गया था।"

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