बांग्लादेश में शेख हसीना संग 26 बड़े पत्रकार और Ex SC जज भी बुरे फंसे, दर्ज हुआ नरसंहार का केस
छात्रों के विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना को न केवल अपना पद छोड़ना पड़ा बल्कि 5 अगस्त को उन्हें बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। हसीना पर विभिन्न अपराधों के आरोप लगाते हुए अब तक 70 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 65 हत्या के मामले और 8 नरसंहार के मामले शामिल हैं।
अरीफुल इस्लाम मिथु, हिन्दुस्तान टाइम्स
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दर्ज होने वाले मुकदमों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। अब उनके साथ-साथ देश के कई नामी पत्रकारों पर भी नरसंहार का मामला दर्ज किया गया है। बांग्लादेश के एक वकील ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और 26 वरिष्ठ पत्रकारों समेत कुल 52 व्यक्तियों पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है।
न्यायाधिकरण को की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जुलाई में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग के साथ शुरू हुए भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार में ये सभी आरोपी शामिल थे। वकील एमएच गाजी तमीम ने 17 वर्षीय छात्र नसीब हसन रिहान के पिता गोलाम रज्जाक की ओर से ये मामला दर्ज किया है। नसीब हसन रिहान की कथित तौर पर 5 अगस्त को ढाका के श्यामोली के रिंग रोड इलाके में सुरक्षा कर्मियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
छात्रों के विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना को न केवल अपना पद छोड़ना पड़ा बल्कि 5 अगस्त को उन्हें बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। हसीना पर विभिन्न अपराधों के आरोप लगाते हुए अब तक 70 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 65 हत्या के मामले और आठ मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के मामले शामिल हैं।
तमीम की शिकायत पत्र में 26 पत्रकारों पर पिछली अवामी लीग सरकार के "चापलूस" होने का भी आरोप लगाया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने भ्रामक जानकारी प्रकाशित की, जिसने पिछली सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कथित नरसंहार की कार्रवाइयों को बढ़ावा दिया और इससे अपराधों को वैधता मिली।
जिन पत्रकारों को नामजद किया गया है उनमें नईमुल इस्लाम खान, इकबाल सोभन चौधरी, मोजम्मल बाबू, नबनिता चौधरी, सुभाष सिंह रॉय और अहमद ज़ोबैर शामिल हैं। शिकायत में प्रोफेसर मुहम्मद ज़फ़र इकबाल और सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएचएम शमसुद्दीन चौधरी माणिक सहित पूर्व शैक्षणिक और न्यायिक हस्तियों का भी नाम शामिल किए गए हैं।
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