यूनुस सरकार के लिए अब भस्मासुर बन रहे बांग्लादेशी छात्र, बात-बात पर हंगामा; सड़क जाम से त्राहिमाम
यूनुस ने पिछले साल छात्रों के विद्रोह के बाद सत्ता संभाली थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और पूर्व PM शेख हसीना को 5 अगस्त को भारत में शरण लेनी पड़ी थी।
पड़ोसी देश बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के भारी विरोध-प्रदर्शन और बेकाबू होते आंदोलन की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को न सिर्फ सत्ता गंवानी पड़ी थी बल्कि उन्हें देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा था। बाद में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया गया। उनकी सरकार में छात्र नेताओं को भी शामिल किया गया। कई मौकों पर मोहम्मद यूनुस छात्र नेताओं की तारीफ कर चुके हैं लेकिन अब वही छात्र उनके लिए गले की फांस बनते नजर आ रहे हैं।
हालात ऐसे हो गए हैं कि ये छात्र रह रहकर छोटी-छोटी बातों पर आए दिन धरना-प्रदर्शन करते हैं और आम लोगों को परेशानी में डाल रहे हैं। एक तरह से देखें तो ये छात्र अब मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए भस्मासुर बनते जा रहे हैं। गुरुवार को भी इसी तरह के एक वाकए में छात्रों ने राजधानी ढाका की सड़कें जाम कर दीं। इस वजह से सुबह से लेकर पूरे दिन और रात तक राजधानी ढाका की सड़कों पर लोग जाम से जूझते रहे। लोगों में इस वजह से यूनुस सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है।
दरअसल, ढाका के सरकारी टिटुमिर कॉलेज के छात्रों ने संस्थान को विश्वविद्यालय में अपग्रेड करने की मांग करते हुए गुरुवार को फिर से सड़कें जाम कर दीं थीं। इस विरोध प्रदर्शन के कारण राजधानी में यातायात ठप पड़ गया। गुरुवार की सुबह से रात तक यात्रियों को ढाका में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रात 9 बजे तक छात्र सड़कों पर जमे रहे, कुछ छात्र तो वहीं लेट गए और नारे लगाते रहे।
ढाका के अहम मोघबाजार से गुलशन-बनानी, न्यू मार्केट, कोलाबागान, बड्डा, रामपुरा और बिजॉय सरानी सहित शहर की सभी प्रमुख सड़कें दिन भर जाम रहीं, जिससे हजारों लोग जहां-तहां फंसे रह गए। मोहखली-गुलशन क्षेत्र में शाम 5 बजे अपने कार्यालयों से निकले यात्री चार घंटे बाद भी अपने अपने घर नहीं पहुंच पाए थे। रास्ते में कई एम्बुलेंसों को ट्रैफिक में ही जाम से जूझते हुए देखा गया।
उत्तरा और टोंगी जैसे दूरदराज के इलाकों से आए यात्रियों को अपनी बसें बंद होने के बाद पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा। अन्य लोग अपने सामान के साथ बसों में फंसे रहे और असहाय होकर इंतजार करते रहे। इस परिस्थिति से जूझ रहे आमजनों ने यूनुस सरकार और छात्रों की खुलकर आलोचना की। ढाका में पुलिस और ट्रैफिक सेवा के अधिकारी लाचार और बेबस नजर आए।
ढाका के दक्षिण में, धनिया यूनिवर्सिटी कॉलेज के छात्रों ने भी मिन्हाजुल इस्लाम की हत्या के विरोध में कुछ घंटों के लिए सड़कें जाम कर दीं, जिससे नारायणगंज, सिलहट और चटगाँव के राजमार्गों पर भीषण यातायात जाम लग गया। हालांकि, वहां जाम दो घंटे ही रहा, जिसके बाद उसे हटा दिया गया। इस बीच, बैटरी से चलने वाले ऑटोरिक्शा चालकों ने ढाका-अरिचा राजमार्ग पर कथित पुलिस जबरन वसूली का विरोध किया, जिससे आधे घंटे तक यातायात बाधित रहा।
इसके अलावा, बर्खास्त पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों ने शिक्खा भवन के पास सड़क जाम कर दी, जिससे कानून प्रवर्तन द्वारा रोके जाने के बाद यातायात बाधित हो गया। इन विरोध प्रदर्शनों ने गुरुवार को पूरे दिन ढाका के यातायात प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित किया।
दूसरी तरफ, बांग्लादेश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक अधिकार समूह ने बृहस्पतिवार को देश की अंतरिम सरकार पर धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को हमलों और उत्पीड़न से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाया, हालांकि सरकार ने इस दावे का खंडन किया है। ‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार अल्पसंख्यक समूहों को दबाने के लिए सरकारी संस्थानों का भी इस्तेमाल कर रही है।
यूनुस ने पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद सत्ता संभाली थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पांच अगस्त को भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके साथ ही उनके 15 साल का शासन खत्म हो गया। परिषद ने पहले कहा था कि चार से 20 अगस्त के बीच मुस्लिम बहुल देश में सांप्रदायिक हिंसा की 2,010 घटनाएं हुईं। वहीं, यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक कारणों से नहीं बल्कि ‘‘राजनीतिक कारणों’’ से हुईं।
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