बांग्लादेश में शेख हसीना के बाद अब राष्ट्रपति की बारी, यूनुस सरकार बोली- मानसिक स्थिति ठीक नहीं
- बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन पर तलवार लटक रही है। हसीना को लेकर दिया उनका बयान सरकार की नजर में चढ़ चुका है। उन्हें पद से हटाने को लेकर यूनुस सरकार ने अन्य दलों से चर्चा की है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन पर तलवार लटक रही है। मोहम्मद यूनुस सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति का हसीना को लेकर बयान देने से पता चलता है कि वे झूठे हैं। सरकार ने शहाबुद्दीन की मानसिक क्षमता पर भी सवाल उठाए। ऐसे में सरकार जल्द ही शहाबुद्दीन के भाग्य पर फैसला ले सकती है। गुरुवार को अंतरिम सरकार ने अन्य राजनीतिक दलों से चर्चाएं शुरू कर दी है। बैठक की अध्यक्षता मोहम्मद युनूस ने की। बीते दिनों शहाबुद्दीन ने कहा था कि उनके पास हसीना का त्यागपत्र नहीं पहुंचा, शायद इस्तीफा देने का उनके पास समय नहीं रहा होगा। इस बयान को लेकर बांग्लादेश में काफी प्रदर्शन भी हुआ।
द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, सलाहकार परिषद की बैठक के बाद बताया गया, "परिषद राजनीतिक दलों की आम सहमति के आधार पर ही राष्ट्रपति शहाबुद्दीन पर निर्णय लेगी।" आज सुबह मुख्य सलाहकार कार्यालय में हुई बैठक में राष्ट्रपति के मुद्दे पर चर्चा की गई। देश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस ने बैठक की अध्यक्षता की थी।
विवाद कैसे शुरू हुआ
बांग्लादेश में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को हटाने पर बहस तब शुरू हुई जब बांग्ला अखबार मानब जमीन की राजनीतिक पत्रिका "जनतार चोख" ने 20 अक्टूबर को एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे के बारे में राष्ट्रपति की टिप्पणी थी। शहाबुद्दीन ने कहा, "मैंने कई बार शेख हसीना का इस्तीफा लेने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा। उस दिन(5 अगस्त) उन्होंने मुझे दो बार कॉल भी किया, लेकिन शायद उनके पास समय नहीं था।"
इसके अगले दिन सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि राष्ट्रपति ने झूठ बोला है और यह कदाचार के समान है। उन्होंने राष्ट्रपति की मानसिक क्षमता पर भी सवाल उठाए। बाद में, छात्र संगठनों ने प्रेसवार्ता करके राष्ट्रपति को हटाने की मांग कर डाली।
बीते मंगलवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने बंगभवन के सामने प्रदर्शन किया और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। बंगभवन में चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के पास इकट्ठा होने की छिटपुट कोशिशें की हैं। इस घटना ने राजधानी ढाका में एक बार फिर तनाव की स्थिति पैदा कर दी है।
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