Hindi Newsविदेश न्यूज़Australia passes Social media ban for children under 16 year age world first law to curb Facebook Instagram and others

16 साल से कम है उम्र तो नहीं इस्तेमाल कर सकते सोशल मीडिया, दुनिया का पहला देश जहां मिली मंजूरी

इस विधेयक के पारित होने पर फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिकाना हक वाली कंपनी मेटा ने ऐतराज जताया है और कहा है कि विधेयक जल्दबाजी और हड़बड़ी में पारित किया गया है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, मेलबर्नThu, 28 Nov 2024 09:16 PM
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16 साल से कम है उम्र तो नहीं इस्तेमाल कर सकते सोशल मीडिया, दुनिया का पहला देश जहां मिली मंजूरी

ऑस्ट्रेलिया की संसद ने के 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगान वाले कानून पारित कर दिया है। संघीय संसद के उच्च सदन सीनेट ने आज (गुरुवार को) इस विधेयक को पारित किया। निचली सदन हाउस ऑफ रिप्रिजेटेटिव इसे एक दिन पहले ही पारित कर चुका है। अब जल्द ही यह दुनिया का ऐसा पहला कानून बन जाएगा और इसके साथ ऑस्ट्रेलिया ऐसा कानून लागू करने वाला पहला देश बन जाएगा।

ABC न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कानून 16 साल के कम आयु वर्ग के बच्चों को टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट, रेडिट, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से रोकेगा। विधेयक में प्रावधान किए गए नियमों के मुताबिक, प्रतिबंधित आयु वर्ग के लोगों का सोशल मीडिया अकाउंट को रोक पाने में जिम्मेदार रहने वाली कंपनियों पर 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी करीब 275 करोड़ रुपये का जु्र्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को दंड से राहत देने और प्रतिबंधों को लागू करने के तरीके पर विचार करने और उसे प्रभावी करने के लिए एक साल का ग्रेस पीरियड दिया जाएगा। विधेयक में यूजर्स की गोपनीयता और निजता की सुरक्षा को लेकर भी कानून बनाए गए हैं और कहा गया है कि किसी भी यूजर को बाध्यकारी तौर पर किसी भी तरह का पहचान पत्र (ड्राइविंग लाइसेंस या सरकार द्वारा जारी कोई भी आईडी) देने को मजबूर नहीं किया जा सकता है।

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इस विधेयक के पारित होने पर फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिकाना हक वाली कंपनी मेटा ने ऐतराज जताया है और कहा है कि विधेयक जल्दबाजी और हड़बड़ी में पारित किया गया है। कई अन्य प्लेटफॉर्म ने इसे जून 2025 तक टालने का अनुरोध किया है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बढ़ते गलत कंटेंट और हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर इस कानून को बनाया गया है। कई विकसित देशों में ऑनलाइन गेम्स या अन्य तरह के सोशल मीडिया ऐप्स के जरिए बच्चों का सेक्सटॉर्शन का भी खबरें आई हैं। कुछ ने इनकी वजह से आत्महत्याएं भी की है।

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