हिमाचल की माली हालत की श्रीलंका से तुलना; गरमाया माहौल, आग बबूला हुए जयराम
हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हिमाचल प्रदेश में श्रीलंका जैसे हालात हो सकते हैं। इस बयान पर सियासत गरमा गई है।
हिमाचल प्रदेश की माली हालत की तुलना श्रीलंका से करने पर सूबे की सियासत गरमा गई है। इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं। दरअसल, सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार सूबे की माली हालत को खस्ता हाल करार दे रही है। इसके लिए पूर्व की भाजपा शासित जयराम ठाकुर सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और हिमाचल प्रदेश के भी श्रीलंका जैसे हालात हो सकते हैं। लिहाजा प्रदेश हित में कड़े एवं सख्त फैसले लिए जाएंगे, जिसमें सूबे की जनता का साथ चाहिए।
सुक्खू का कहना है कि पिछली सरकार प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ चुकी है। कर्मचारियों की 11 हजार करोड़ की देनदारियां हैं। प्रदेश की माली हालत को बेहतर बनाने में चार साल लग जाएंगे। दूसरी तरफ सीएम सुक्खू के श्रीलंका वाले बयान पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आपत्ति जताई है। जयराम का कहना है कि हिमाचल की तुलना श्रीलंका से करना दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रीलंका में जिस प्रकार की परिस्थितियों हैं अगर उस प्रकार की परिस्थितियां हिमाचल में आती है तो उसके लिए कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है।
जयराम ठाकुर ने मंगलवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में सुक्खू सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार से मुख्यमंत्री बार-बार कर्ज का आंकड़ा जनता के बीच प्रस्तुत कर रहे हैं वह पूर्ण रूप से गलत है। जब भाजपा की सरकार हिमाचल प्रदेश में थी तो यह कर्ज तकरीबन 70 हजार करोड़ था और अभी यह ऋण 75 हजार करोड तक भी नहीं पहुंचा है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री बार-बार 95 हजार करोड़ का राग अलाप रहे हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कर्ज के मुद्दे पर कांग्रेस केवल एक माहौल खड़ा करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में 10 बार सत्ता में रही और भाजपा की सरकार 5 बार सत्ता में रही है तो सबसे बड़ा अगर ऋण लेने में यदि कोई दोषी है तो वह कांग्रेस पार्टी है। जब हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह थे तो हिमाचल प्रदेश पर 50 हजार करोड़ का लोन हो गया था।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कर्मचारी कह रहे हैं कि सूबे में परिस्थिति अच्छी नहीं है। भाजपा के समय में जब कोविड-19 महामारी थी तब भी कर्मचारियों की सैलरी समय पर दी गई थी एक भी दिन उसे लेट नहीं किया था। अब तो यह सुनने में आ रहा है कि हिमाचल प्रदेश में 386 शिक्षण संस्थानों को भी बंद करने की चर्चा चल रही है उसको लेकर कैबिनेट को भी केस भेज दिया गया है।
जयराम ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी ने अपनी 10 गारंटियों को लागू करना है तो उसके लिए रिसोर्स मैनेजमेंट करे ना कि सरकारी संस्थानों को बंद करने का प्रयास करे। यदि ओपीएस लागू करना है तो उसकी फार्मूला जनता के बीच लाया जाना चाहिए। हिमाचल में दो सीमेंट फैक्ट्रियों पर ताला लगा है। इससे हिमाचल प्रदेश को डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा घाटा हो चुका है। सरकार अभी तक कोई ऐसा फार्मूला नहीं बना पाई है जिससे ट्रक ऑपरेटर और फैक्ट्री के मालिकों के बीच में कोई तालमेल बैठ सके।
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