आदमपुर में कांग्रेस पर भारी पड़ी गुटबाजी, भूपिंदर हुड्डा को झटका और हाईकमान को संदेश
आदमपुर उपचुनाव की पूरी कमान भूपिंदर सिंह हुड्डा ग्रुप के हाथों में थी और कुमारी शैलजा जैसे वरिष्ठ नेता यहां प्रचार से भी गायब रहे। हार को हुड्डा को झटके और हाईकमान को संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
देश के 6 राज्यों में 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है। उसे तेलंगाना में मुनुगोदे सीट पर करारी हार झेलनी पड़ी है, जिसे उसने 37000 वोटों से जीता था। इसके अलावा हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस को हार मिली है, जो लंबे समय तक उसका गढ़ रही है। आदमरपुर सीट पर हार ने कांग्रेस की रणनीति और उसकी एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह यह है कि आदमपुर उपचुनाव की पूरी कमान भूपिंदर सिंह हुड्डा ग्रुप के हाथों में थी और कुमारी शैलजा जैसे वरिष्ठ नेता यहां प्रचार से भी गायब रहे। ऐसे में इस हार को भूपिंदर सिंह हुड्डा को झटके और हाईकमान को इस संदेश के तौर पर देखा जा रहा है कि अकेले हुड्डा कैंप के भरोसे हरियाणा में फतह मिलना मुश्किल होगा।
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50 साल में पहली बार आदमपुर में खिला कमल
तीन साल पहले आदमपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 29,000 वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन अब यहां भव्य बिश्नोई के भरोसे भाजपा को कमल खिलाने का मौका मिल गया है। इस चुनाव से दो संदेश मिले हैं। पहला यह कि बिश्नोई परिवार के भाजपा संग जाने से पूर्व सीएम भजनलाल का सपोर्ट बेस कांग्रेस से छिटककर भाजपा के पास चला गया है। 50 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब यहां से कमल खिला है। दूसरा संदेश यह है कि पार्टी हाईकमान ने हुड्डा कैंप के हवाले हरिय़ाणा कर दिया है और गुटबाजी के चलते संकट पैदा हो रहा है। ऐसे में उसे बैलेंस बनाना होगा ताकि कुमारी शैलजा समेत अन्य नेताओं को भी सक्रिय किया जा सके।
हुड्डा कैंप के हाथ थी कमान, मात पर उठ रहे हैं सवाल
कुछ महीने पहले ही हरियाणा में कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटवाने में सफलता पाने वाले हुड्डा कैंप के हाथों ही इस उपचुनाव की कमान थी। उनके करीबी उदयभान अब प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके कहने पर ही जयप्रकाश को आदमपुर से कांग्रेस का टिकट मिला था। इसके अलावा दीपेंदर सिंह हुड्डा कैंपेन की कमान संभाल रहे थे। ऐसे में इस हार ने हुड्डा कैंप की ताकत और सियासी रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं। कुमारी शैलजा दलित नेता हैं और उनकी हरियाणा में अच्छी पकड़ रही है। वहीं हुड्डा को जाट बिरादरी के नेता के तौर पर शुमार किया जाता है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के आगे चुनौती होगी कि वह हुड्डा और शैलजा के बीच बैलेंस बनाकर चले।
शैलजा के अलावा सुरजेवाला भी दिखे गायब
आदमपुर में हार पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि यह सीट हिसार जिले में आती है, जो कुमारी शैलजा का गृह क्षेत्र है। इसके अलावा कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी चुनाव प्रचार में ऐक्टिव नहीं दिखे हैं। इससे साफ है कि कांग्रेस की अंदरुनी कलह उपचुनाव पर भारी पड़ी है।
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