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गूगल से भिड़ गए हैं भारतीय ऐप्स; क्या प्ले स्टोर से एकबार फिर हटाए जाएंगे? पूरा मामला

गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी भारतीय ऐप्स के गले की फांस बनी हुई है और उनपर अब भी इसे लागू करने का दबाव बना हुआ है। सरकार के हस्तक्षेप के बाद ऐप्स प्ले स्टोर पर दोबारा लिस्ट जरूर हो गए हैं लेकिन सवाल अब भी बरकरार है।

Pranesh Tiwari लाइव हिन्दुस्तान Sat, 23 March 2024 08:57 PM
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ढेरों भारतीय ऐप्स को बीते दिनों गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था और न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इन्हें एक बार फिर लिस्ट कर दिया गया। हालांकि, गूगल ने इन ऐप्स को नई बिलिंग पॉलिसी से जुड़े बदलाव करने के लिए 120 दिनों का वक्त दिया है। हाल ही में कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की ओर से ऐप डिवेलपर्स को झटका लगा है और उनकी याचिका खारिज कर दी गई है। आइए इस पूरे मामले के बारे में समझते हैं और संभावनाओं पर विचार करते हैं।

पूरे विवाद की वजह गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी है, जिनमें साफ किया गया है कि प्ले स्टोर पर लिस्ट की जाने वालीं सभी ऐप्स में गूगल का इन-ऐप बिलिंग सिस्टम होना चाहिए। हालांकि इसका इस्तेमाल करने की स्थिति में गूगल 10 से 15 प्रतिशत कमीशन लेता है। भारतीय ऐप डिवेलपर्स और फिनटेक स्टार्टअप्स का मानना है कि यह पॉलिसी प्रतिस्पर्धा से जुड़े नियमों और भारतीय कानूनों का उल्लंघन करती है। कंपनियों का कहना है कि गूगल की पॉलिसी लागू करने की स्थिति में उनकी सेवाओं की कीमतें बढ़ानी होंगी।

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गूगल ने हटा दिए थे कई भारतीय ऐप

सॉफ्टवेयर कंपनी गूगल ने नई पॉलिसी लागू ना करने के चलते Shaadi.com से लेकर Trupay, Indialends और Zingmo जैसे कई भारतीय ऐप्स प्ले स्टोर से हटा दिए थे। बाद में इन ऐप्स को दोबारा लिस्ट जरूर कर दिया गया लेकिन डिवेलपर्स को अब भी नए बदलाव करने को कहा गया है। अगर गूगल की पॉलिसी से जुड़े बदलाव लागू नहीं किए जाते तो एक बार फिर ऐप्स को प्ले स्टोर से डीलिस्ट किया जा सकता है। CCI ने ऐप डिवेलपर्स की 4 याचिकाएं खारिज कर दी हैं और फैसला गूगल के पक्ष में है।

Truepay के CEO विश्वास पटेल ने कहा कि गूगल की बिलिंग पॉलिसी बिल्कुल गलत हैं और प्रतिस्पर्धा का विरोध करती हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले ही बहुत कम मार्जिन पर काम करते हैं और गूगल के बदलावों के चलते भारतीय यूजर्स को उचित सेवाएं देना और मार्केट में अपनी जगह बना पाना आसान नहीं रह जाएगा। अन्य भारतीय डिवेलपर्स की भी यही राय है और वे इस तरह के बदलावों को लेकर सहमत नहीं हैं और चाहते हैं कि सरकार गूगल पर दबाव डाले।

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डिवेलपर्स के समर्थन में उतरी सरकार

भारत सरकार ने अपने ऐप डेवलपर्स का समर्थन करते हुए कहा है कि गूगल की पॉलिसी भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा के समान अवसर को कमजोर करती हैं। IT मंत्रालय के अधिकारियों ने चर्चा की है कि गूगल एक ऐसी प्ले स्टोर पॉलिसी लाने के लिए दबाव डाला जाए, जो भारत के रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क का पालन करती हो। हालांकि, गूगल ने केवल सीमित समय के लिए इन ऐप्स को प्ले स्टोर पर लिस्ट किया है लेकिन अभी कोई स्थाई समाधान नहीं मिल सका है।

थर्ड-पार्टी बिलिंग का विकल्प देगा गूगल?

टेक एक्सपर्ट विनोद के सिंह ने बताया कि ऐप्स और गूगल के बीच समझौते के बाद कोई रास्ता निकाला जा सकता है। हालांकि इसकी राह आसान नहीं होगी। भारतीय स्टार्टअप्स की मांग है कि गूगल साउथ कोरिया जैसे मार्केट्स में मिलने वाले थर्ड-पार्टी बिलिंग जैसा विकल्प भारत में भी दिया जाए। वहीं, गूगल का कहना है कि वह अपने यूजर्स की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता और उसे अपने इन-हाउस सिस्टम पर ही भरोसा है। ऐसे में ऐप डिवेलपर्स पर बिलिंग पॉलिसी लागू करने का दबाव अब भी बना हुआ है।

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