Explainer: गूगल को बेचना पड़ सकता है Chrome ब्राउजर, आखिर क्या है कंपनी की मजबूरी?
गूगल पर इसके लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर Chrome को बेचने का दबाव DOJ की ओर से डाला जा रहा है। अगर गूगल को यह ब्राउजर बेचना पड़ा तो कंपनी के लिए यह बड़ा झटका होगा।
दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक Google पर लगातार मोनोपॉली या एकाधिकार जमाने का आरोप लगता रहता है। खासकर इंटरनेट स्पेस पर गूगल की सेवाएं दुनिया की सबसे ज्यादा इसतेमाल की जाने वाली सेवाएं हैं। अब खबर आ रही है कि गूगल को अपना लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर Chrome बेचना पड़ सकता है। आइए इस खबर से जुड़े बाकी पहलुओं पर नजर डालते हैं और समझते हैं कि यह कंपनी और यूजर्स को कैसे प्रभावित करेगी।
क्यों बेचना पड़ सकता है Chrome ब्राउजर?
बीते दिनों Bloomberg की रिपोर्ट में सामने आया है कि डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) इंटरनेट स्पेस में गूगल के एकाधिकार को लेकर खुश नहीं है। DOJ ने पिछले महीने 'स्ट्रक्चरल रेमेडीज' का जिक्र करते हुए कोर्ट पेपर फाइल किए गए हैं, जिससे गूगल को उसके ही कुछ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से रोजा का सके। इस तरह DOJ गूगल पर दबाव डाल रहा है कि यह अपनी मोनोपॉली खत्म करे और कुछ सबसे लोकप्रिय सेवाओं को बेचने का फैसला करे।
गूगल इस फैसले से कैसे प्रभावित होगा?
अगर गूगल को इसका इंटरनेट ब्राउजर बेचना पड़ा तो कंपनी के लिए यह बड़ा झटका होगा। दरअसल, क्रोम ब्राउजर कंपनी के सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट्स में से एक है और दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला ब्राउजर है। इसे बेचने की स्थिति में ना सिर्फ गूगल की ब्रैंड इमेज प्रभावित हो सकती है, बल्कि कंपनी के रेवन्यू पर भी असर पड़ सकता है। कुछ मिलाकर गूगल के लिए यह अच्छी खबर, कहीं से भी नहीं है।
ब्राउजर बिकने की स्थिति में किसे फायदा होगा?
फिलहाल सबसे बड़ा यूजरबेस Chrome का इस्तेमाल करता है, ऐसे में इसका गूगल से अलग होना मार्केट में मौजूद दूसरे ब्राउजर्स के लिए मौके की तरह होगा। इसकी बिक्री के बाद मार्केट में बदलाव देखने को मिल सकते हैं और Firefox, Safari, Microsoft Edge से लेकर Brave जैसे ब्राउजर्स को लोकप्रियता मिल सकती है और इनका यूजरबेस बढ़ सकता है। हाल ही में संकेत मिले हैं और OpenAI भी अपना AI ब्राउजर लॉन्च करने जा रहा है।
यूजर्स के लिए क्या बदलने वाला है?
इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले जिन यूजर्स को गूगल क्रोम की आदत है, उनके लिए चीजें बदल सकती हैं और उन्हें नए विकल्प मिल सकते हैं। हालांकि Chrome ब्राउजर बंद नहीं होगा और आप पहले की तरह इसका इस्तेमाल जारी रख सकते हैं। अगर आपको Chrome ही पसंद है, तो इसकी ओनरशिप गूगल या किसी और के पास होने से आपको फर्क नहीं पड़ेगा और सारी फंक्शनैलिटीज का फायदा पहले की तरह ही मिलता रहेगा।
इसपर कब आ सकता है आखिरी फैसला?
फिलहाल कोई जल्दबाजी नहीं है और गूगल की मोनोपॉली से जुड़े फैसले को लेकर अगले सुनवाई अप्रैल, 2025 में होने वाली है। इस मामले से जुड़ा फैसला अगले साल अगस्त तक आ सकता है और गूगल के पास इस फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प भी मौजूद होगा। फिलहाल गूगल क्रोम का ब्राउजर मार्केट शेयर करीब 65 प्रतिशत है और इसके जरिए कंपनी की कमाई का बड़ा हिस्सा आता है।
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