तालिबान ने दी थी जान से मारने की धमकी, फिर ऐसे पूरी की गई जॉन अब्राहम की यह फिल्म
- जॉन अब्राहम की इस फिल्म की शूटिंग के दौरान दी गई थी जान से मारने की धमकी। फिर इस तरह 60 हथियारबंद कमांडोज की मौजूदगी में शूट हुई थी यह फिल्म।
साल 2006 में रिलीज हुई जॉन अब्राहम और अरशद वारसी की फिल्म को बनाने में कुल मिलाकर 15 करोड़ रुपये का खर्चा आया था और इस फिल्म ने 21 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था। फिल्म की कहानी दो भारतीय और एक अमेरिकन जर्नलिस्ट की थी जिन्हें पाकिस्तानी जवानों द्वारा बंधक बना लिया जाता है। ड्रामा शुरू होता है जब उन्हें अफगानिस्तान में जंग के मैदान से होकर 48 घंटे का सफर तय करना होता है। चंदू चैंपियन, बजरंगी भाईजान, एक था टाइगर और 83 जैसी फिल्में बना चुके निर्देशक कबीर खान ने ही इस फिल्म का निर्देशन किया था।
आसान नहीं थी अफगानिस्तान में शूटिंग
कबीर खान ने इस फिल्म के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें और उनके कलाकारों को इस फिल्म की शूटिंग के दौरान जान से मारने की धमकी दी गई थी। यह धमकी उन्हें आतंकवादी संगठन तालिबान से आई थी। कबीर खान ने अपनी और अपने क्रू की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वह देश छोड़ने और शूटिंग नहीं करने का मन बना लिया था, लेकि फिर उन्हें एक ऐसा फोन कॉल आया जिसके बाद निर्देशक ने अपनी इस फिल्म के जरिए तालिबान को मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला कर लिया।
कबीर खान को आया दूतावास से फोन
कबीर खान ने एक इंटरव्यू में बताया, "शुरुआती 14 दिनों में ही वहां काबुल में 3 आत्मघाती हमले हो चुके थे। जॉन अब्राहम हर दूसरे दिन यही कहता था कि इन सुसाइड बॉम्बर्स को देख रहे हो, यार मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं यहां क्यों आ गया हूं। शूटिंग के 14वें दिन मुझे भारतीय राजदूत का फोन आया कि जितना जल्दी हो सके पैकअप कीजिए, हमें तालिबान से आपको जान से मारने की धमकी आई है। वो हमसे रेडियो पर कम्यूनिकेट कर रहे थे कि कैसे वो हमें जॉन और अरशद को पिकअप करेंगे।"
क्यों लिया शूटिंग पूरी करने का फैसला?
कबीर खान ने बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से उन्हें हर चीज डिटेल में समझाई जा रही थी ताकि उनकी सुरक्षा की तसल्ली की जा सके। स्टार फिल्ममेकर ने बताया कि वह लगभग पैकअप करके वहां से निकलने के बारे में सोच ही रहे थे कि वहां से रक्षा मंत्री उनके पास आए और कहा कि अगर तुम कल वापस बॉम्बे चले जाते हो तो यह अफगानिस्तान के लिए एक हार जैसा होगा। तब उन्हें लगा कि वह यह भावनात्मक बोझ लेकर नहीं जीना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अपने क्रू की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। अगली सुबह 60 हथियारबंद कमांडो और सेना की कई गाड़ियां उनके होटल पहुंच गईं और जब वो शूटिंग के लिए निकलते तो कई मील आगे तक उनकी सुरक्षा की तसल्ली की जाती थी। इस तरह कबीर खान ने इस फिल्म की शूटिंग पूरी की।
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