Hindi Newsचुनाव न्यूज़लोकसभा चुनाव 2024Why BJP Denied Ticket to Varun Gandhi What all went against them

वरुण गांधी को 2016 से झेल रही थी भाजपा? अब काटा टिकट, क्या-क्या गया उनके खिलाफ

Varun Gandhi Lok Sabha Election: उसी वर्ष, वरुण गांधी ने एक आवास पहल शुरू की जिसके तहत उन्होंने गरीबों, मुसलमानों और पिछड़ी जातियों के लिए MP-LAD (संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास) निधि से कई घर बनाए।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 26 March 2024 06:43 AM
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Varun Gandhi Lok Sabha Ticket: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को उत्तर प्रदेश के 13 उम्मीदवारों की सूची जारी की। भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की इस पांचवीं सूची में यूपी से सात मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया। इनमें गाजियाबाद से केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और बरेली से पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार शामिल हैं। हालांकि, 2024 की लड़ाई में वरुण गांधी को भी टिकट नहीं मिला है। पार्टी ने जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सुल्तानपुर से दोबारा मौका दिया है, वहीं उनके बेटे और पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया है और उनकी जगह जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। यह सीट 1996 से वरुण और उनकी मां मेनका गांधी के बीच रही है। वरुण को टिकट नहीं देने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। 

नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने से एक साल पहले, वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने संगठनात्मक कार्यों में शायद ही कभी रुचि दिखाई। उस दौरान बंगाल के सह-प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ज्यादा काम संभालते थे। लेकिन फिर भी राहुल गांधी और अखिलेश यादव के खिलाफ उनके लगातार हमलों ने उन्हें 2014 का टिकट दिलवा दिया था।लेकिन जल्द ही, उनके और भाजपा के बीच समस्याएं पैदा होने लगीं।

वरुण गांधी की सीएम के लिए पोस्टर युद्ध?

न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 वह पहला मौका था जिसने संभवतः भाजपा नेतृत्व को परेशान कर दिया था। तब संजय गांधी के बेटे ने पार्टी के भीतर पोस्टर युद्ध की घोषणा की थी। प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में भाजपा की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले शहर भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तस्वीरों के साथ वरुण गांधी के चेहरे वाले बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हुए पाए गए।

कुछ पोस्टरों में लिखा था, "ना अपराध, ना भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार।" यह माना गया कि वरुण 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में खुद को भाजपा के अगले मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश कर रहे थे। जिस बात ने कई लोगों को चौंका दिया, वह यह थी कि भाजपा नेतृत्व ने उनसे अपनी राजनीतिक गतिविधियों को उनके तत्कालीन निर्वाचन क्षेत्र सुल्तानपुर तक ही सीमित रखने के लिए कहा था, इसके बावजूद उनका उत्साह चरम पर था।

अपने ही साथियों पर भी रहे हमलावर

उसी वर्ष, वरुण गांधी ने एक आवास पहल शुरू की जिसके तहत उन्होंने गरीबों, मुसलमानों और पिछड़ी जातियों के लिए MP-LAD (संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास) निधि से कई घर बनाए। उन्होंने घर बनाने के लिए अपने निजी धन का भी इस्तेमाल किया। मकान बांटते समय, उन्होंने कथित तौर पर कहा, “मैं एक आशावादी हूं और उन चीजों को करने में विश्वास करता हूं जो लोगों की मदद कर सकती हैं। वे (जनता) पुराने राजनीतिक तरीकों से तंग आ चुकी है। आज के युवा केवल बयानबाजी के बजाय परिणामों पर विश्वास करते हैं।'' उस समय कई लोगों ने इसे उनके अन्य सहयोगियों पर कटाक्ष के रूप में देखा।

इसके कुछ साल बाद आई कोरोनावायरस महामारी। कोविड-19 की पहली लहर खत्म हो गई थी और दूसरी लहर के दौरान, 2021 में रात का कर्फ्यू वापस लाया गया था। वरुण गांधी को यह कदम पसंद नहीं आया। उन्होंने कोविड-19 पर अंकुश लगाने के लिए नाइट कर्फ्यू लगाने के योगी आदित्यनाथ सहित राज्य सरकारों के फैसले पर सवाल उठाया। अपनी ही पार्टी पर हमला बोलते हुए वरुण गांधी ने कहा था, "दिन में रैलियों के लिए लाखों लोगों को इकट्ठा करने के बाद रात में कर्फ्यू लगाना आम आदमी के साथ खिलवाड़ है।" इसके अलावा, उन्होंने अन्य कई मौकों पर भी भाजपा को निशाने पर लिया। इससे सरकार के साथ-साथ पार्टी को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी।

कृषि कानूनों पर भी भाजपा के खिलाफ रहे वरुण

वरुण गांधी केंद्र के तीन कृषि कानूनों के आने के बाद से ही अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ मुखर रहे। हालांकि, बाद में सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया। उन्होंने रोजगार और स्वास्थ्य समेत कई मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ आवाज उठायी। उसी दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी से जुड़े वाहनों के प्रदर्शनकारी किसानों की भीड़ में घुसने के कारण लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की जान चली गई थी। तब वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर मामले में जवाबदेही तय करने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की थी, जबकि भाजपा नेतृत्व टेनी का बचाव कर रहा था। दिलचस्प बात यह है कि उसी साल अक्टूबर में वरुण गांधी को उनकी मां मेनका गांधी के साथ 80 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया गया था।  

सीधे योगी सरकार पर साधा था निशाना

भाजपा नेता ने पिछले साल सितंबर में अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन की आलोचना करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने इसे "एक नाम के खिलाफ नाराजगी" करार दिया। यह अपनी ही योगी सरकार पर वरुण गांधी का सबसे हालिया हमला था।  अस्पताल का नाम वरुण गांधी के पिता के नाम पर रखा गया था और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जो यह अस्पताल चलाती हैं।

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