Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़The wounds of Motera were healed in Dubai after 17 months of WC 2023 KL Rahul changed his and the team s fate

मोटेरा के जख्मों पर 17 महीने बाद दुबई में लगा मरहम...केएल राहुल ने बदली अपनी और टीम की तकदीर

  • मोटेरा के जख्मों पर 17 महीने बाद दुबई में मरहम लगा। केएल राहुल ने ना सिर्फ अपनी, बल्कि टीम की तकदीर भी बदली। वे वर्ल्ड कप 2023 के विलेन कहे जाते हैं, लेकिन वे अब वबंडर कहे जाएंगे।

Vikash Gaur भाषा, नई दिल्लीMon, 10 March 2025 01:52 PM
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मोटेरा के जख्मों पर 17 महीने बाद दुबई में लगा मरहम...केएल राहुल ने बदली अपनी और टीम की तकदीर

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विनिंग सिक्स और मैच फिनिशिंग पारी खेलने वाले बल्लेबाज केएल राहुल थे। इसके बाद चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल दुबई में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला तो उसमें भी संकटमोचक की भूमिका केएल राहुल ने निभाई। केएल राहुल की सूझ-बूझ भरी पारी की बदौलत भारत 252 रनों के लक्ष्य को पार करने में सफल हुआ और तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा किया। ऐसे में चैंपियंस ट्रॉफी जिताने में केएल राहुल के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

हालांकि, यह वही केएल राहुल हैं, जिन्होंने 19 नवंबर 2023 को ऑस्ट्रेलिया के हाथों वनडे विश्व कप फाइनल में भारत की हार के बाद सबसे ज्यादा लानत मलामत झेली थी। जब लगातार दस जीत के साथ फाइनल में पहुंची भारतीय टीम अहमदाबाद में खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 240 रन पर आउट हो गई थी और उस मैच में 107 गेंदों में 66 रन बनाने के लिए और खराब विकेटकीपिंग के लिए केएल राहुल आलोचकों के निशाने पर रहे। हालांकि, अब अहमदाबाद के मोटेरा में बने नरेंद्र स्टेडियम में मिले उन जख्मों को दुबई में मरहम मिला।

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मोटेरा के उस फाइनल के सत्रह महीने बाद जब दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर भारत ने तीसरी बार खिताब जीता तो अंत तक डटे रहे राहुल को जिस तरह कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और हार्दिक पंड्या ने गले से लगाया, उसने साबित कर दिया कि इस जीत में उनकी क्या अहमियत है। कभी पारी का आगाज करने वाले राहुल टीम की जरूरत के मुताबिक बल्लेबाजी क्रम में छठे नंबर पर उतरे और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 34 गेंद में नाबाद 42 रन बनाकर टीम को जीत तक पहुंचाया। ग्लेन मैक्सवेल को जड़ा उनका विजयी छक्का क्रिकेटप्रेमियों के जेहन में उसी तरह चस्पा रहेगा, जैसे वानखेड़े स्टेडियम पर विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी का छक्का।

भले ही विराट कोहली की तरह वह शतक नहीं जड़ पाए या रोहित शर्मा की तरह बड़ी पारी नहीं खेली, लेकिन उनके 30-40 रन भी टीम को ऐसे मुकाम तक ले गए जहां से नतीजा जीत ही होना था। न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में श्रेयस अय्यर के आउट होने के बाद 39वें ओवर में जब वह क्रीज पर आए तब टीम को जीत के लिये 69 रन की जरूरत थी। उन्होंने मिचेल सेंटनर को छक्का लगाकर रन और गेंद का अंतर कम किया। दूसरे छोर से अक्षर पटेल और हार्दिक पंड्या के विकेट गिरने के बावजूद वह एक छोर संभालकर डटे रहे और जीत तक पहुंचाकर ही दम लिया।

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कप्तान रोहित ने तो उनके योगदान की सराहना करते हुए यह भी कहा, ‘‘राहुल का दिमाग काफी दृढ है और वह दबाव को खुद पर हावी नहीं होने देता। वह खुद तो शांत रहता ही है, साथ ही ड्रेसिंग रूम में भी वह शांति लाता है। हमें मध्यक्रम में उसकी जरूरत थी, ताकि दूसरे खिलाड़ी खुलकर खेल सकें।’’ विराट, रोहित, जडेजा जैसे बड़े सितारों के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था, लेकिन राहुल ने अपने प्रदर्शन से उन जख्मों पर मरहम लगा दिया होगा जो नासूर बनकर पिछले डेढ साल से उन्हें चुभ रहे थे। उन्होंने बदली हुई भूमिका में खुद को ढाला और ओपनर से फिनिशर तक का सफर सुगमता से तय किया। इस टूर्नामेंट में तो वह विकेटकीपर फिनिशर रहे।

नौ साल पहले जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू करने के साथ शतक जड़ने वाले राहुल ने अपने करियर में कई उतार चढाव देखे और एक समय एक टीवी शो पर विवादित टिप्पणी के कारण निलंबन भी झेला, लेकिन विश्व कप 2023 में खिताब के करीब पहुंचकर चूकने से बड़ा जख्म शायद ही कोई रहा हो। यही वजह है कि उस फाइनल के काफी बाद आर अश्विन से यूट्यूब चैनल पर बातचीत में राहुल ने कहा था, ‘‘ मैं अगर आखिर तक टिक जाता और 30-40 रन और बना लेता तो हम विश्व कप जीत सकते थे। मुझे इसका खेद रहेगा।’’

अहमदाबाद में उस रात स्टेडियम में मौजूद एक लाख से ज्यादा दर्शकों को उस हार ने भले ही खामोश कर दिया था, लेकिन रविवार को न्यूजीलैंड पर मिली जीत ने दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को नीले सागर में बदलने वाले हजारों क्रिकेटप्रेमियों के साथ 1.4 अरब भारतीयों को जश्न में सराबोर कर दिया। और कभी एक मैच से खलनायक बना यह प्रतिभाशाली खिलाड़ी फिर भारतीय टीम के जज्बाती प्रशंसकों का नूर-ए-नजर बन गया।

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