Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़How Marnus Labuschagne finds his form in Adelaide after Perth Failure reveals himself

मार्नस लाबुशेन ने एडिलेड टेस्ट से पहले की थी ये 'साधना', जिसके दम पर उन्होंने खोई लय पाई वापस

  • मार्नस लाबुशेन ने बताया है कि उन्होंने एडिलेड टेस्ट मैच से पहले अपनी बल्लेबाजी में कौन से बदलाव किए थे, जिससे उन्हें थोड़ी बहुत लय हासिल करने में मदद मिली। मार्नस लाबुशेन अगर एडिलेड में रन नहीं बनाते तो अपनी जगह खो भी सकते थे।

Vikash Gaur लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 10 Dec 2024 06:49 AM
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मार्नस लाबुशेन ने एडिलेड टेस्ट से पहले की थी ये 'साधना', जिसके दम पर उन्होंने खोई लय पाई वापस

ऑस्ट्रेलिया की टीम से बाहर होने का खतरा इस समय मार्नस लाबुशेन पर मंडरा रहा है, लेकिन एडिलेड टेस्ट मैच में भारत के खिलाफ उन्होंने एक अच्छी पारी खेली, जिसके दम पर इस सीरीज में शायद ड्रॉप होने से बच गए हैं। एडिलेड टेस्ट मैच से पहले की 10 पारियों में उनका एक बड़ा स्कोर था, जो 90 रन था। वे ज्यादातर समय सिंगल डिजिट स्कोर पर आउट हुए। हालांकि, मार्नस लाबुशेन ने एडिलेड टेस्ट मैच के लिए अपनी बल्लेबाजी में मामूली बदलाव किए, जिसका उन्हें फायदा मिला और उन्होंने भारत के खिलाफ पिंक बॉल टेस्ट में 64 रन की उपयोगी पारी खेली।

भारत के पहले टेस्ट में 295 रन से जीत दर्ज करने के बाद मेजबान टीम की बल्लेबाजी में सुधार का दारोमदार लाबुशेन और स्टीव स्मिथ जैसे अनुभवी बल्लेबाजों पर था। लाबुशेन अधिक दबाव में थे, क्योंकि क्रीज पर पर्याप्त समय बिताने के बावजूद वह रन नहीं बना पा रहे थे। पर्थ में पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 52 गेंद में दो रन बनाए, जबकि दूसरी पारी में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंद पर वह पगबाधा हुए। टीम में अपनी जगह को लेकर हो रही आलोचना को नजरअंदाज करते हुए लाबुशेन ने अपनी बल्लेबाजी पर काम किया और दूसरे टेस्ट में उन्हें इसका फायदा मिला।

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उन्होंने गुलाबी गेंद के दूसरे टेस्ट में बुमराह और उनके साथियों के बेहद दबाव बनाने के बावजूद रन बनाने का तरीका ढूंढ लिया। लाबुशेन ने क्रिकेट.कॉम.एयू से कहा, ‘‘पर्थ टेस्ट के अंत तक मुझे पता था कि मैं गेंद की तरफ मूव नहीं कर रहा हूं। मैं जिस तरह खेल रहा था उसे लेकर मुझे काफी चीजें पसंद नहीं थी। इसका सकारात्मक पक्ष यह था कि मैं जिस तरह खेल रहा था और मेरी जो तकनीक थी उसके बावजूद मैं लगभग 60 गेंद खेलने में सफल रहा। मुझे हल ढूंढने की अपनी क्षमता पर भरोसा था।’’

दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैंने पूरे हफ्ते प्रयास किया और विभिन्न चीजों पर काम किया, पता करने की कोशिश की कि यह काम कर रही है या नहीं। इसमें बदलाव करता रहा जब तक कि मुझे वह नहीं मिल गया जिसकी जरूरत थी।’’ लाबुशेन ने एडिलेड टेस्ट से पहले किए गए बदलावों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ‘‘10 दिन के ब्रेक का मतलब था गेंद को फिर से बल्ले के बीच से खेलने का प्रयास करना, गेंद की लाइन में अच्छी तरह से आना और यह पता लगाना कि मैं कहां मिस कर रहा हूं। मैं नौ दिन तक लगातार बल्लेबाजी कर रहा था, बस उस स्थिति में वापस आने का रास्ता खोज रहा था जहां मैं पहुंचना चाहता था।’’

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उन्होंने कहा,‘‘यही वह यात्रा थी जिसकी शुरुआत मैंने मंगलवार को की थी और मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि जब मैं एडिलेड पहुंचू तो मैं इस स्थिति में रहूं कि मैं इस पर भरोसा कर सकूं और मैदान पर जाकर खेल सकूं।’’ लाबुशेन ने कहा कि उन्होंने गेंद फेंके जाने से पूर्व के तरीकों को बदलने पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जो चीजें बदलीं, वे गेंद फेंके जाने से पहले की थीं। मैंने पिछले चार या पांच वर्षों में कई अलग-अलग तरीकों से बल्लेबाजी की है इसलिए मेरे लिए यह इस बारे में था कि मैं किस तरीके से खेलना चाहता हूं और इसे अपने नए रुख के साथ फिर से जोड़ना चाहता हूं।’’

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