गौतम गंभीर से छिन सकती है उनकी 'पावर', बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी करेगी फ्यूचर डिसाइड!
- गौतम गंभीर से उनकी 'पावर' छिन सकती है। अगर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उनकी हेड कोचिंग में टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो उनके पर बीसीसीआई कतर सकती है। भारत न्यूजीलैंड से 3-0 से हारा है।
टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर न्यूजालैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली शर्मनाक हार के बाद आलोचकों के निशाने पर हैं। यहां तक कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई की नजर भी अब गौतम गंभीर के प्रदर्शन पर होगी। ऑस्ट्रेलिया में पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंभीर के फ्यूचर को डिसाइड करेगी। इसके अलावा उनकी कुछ शक्तियां भी छिन सकती हैं।
गौतम गंभीर ने जब से टीम की कमान संभाली है, तभी से टीम शर्मनाक रिकॉर्ड बनाती जा रही है। भारत को पहली बार तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप झेलनी पड़ी, जबकि इससे पहले श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज भी भारत हार चुका है। अगर ऑस्ट्रेलिया का दौरा गौतम गंभीर का टीम इंडिया के हेड कोच के तौर पर खराब रहता है तो फिर बीसीसीआई कुछ अहम कदम उठा सकती है।
भारत ने पिछली चार टेस्ट सीरीज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीती हैं। इनमें दो ऑस्ट्रेलिया में खेली गईं। ऐसे में अगर गौतम गंभीर को अपना औहदा ऊंचा रखना है तो फिर इस टेस्ट सीरीज को जीतना ही होगा। अगर टीम 4-0 या 5-0 से टेस्ट सीरीज जीतती है तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंच जाएगी। अगर ऑस्ट्रेलिया ने एक या दो मुकाबले जीत लिए तो फिर कहानी खत्म हो जाएगी।
पीटीआई की रिपोर्ट की मानें तो गौतम गंभीर को रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ से भी ज्यादा पावर मिली हुई है। वे सिलेक्शन मैटर्स में भी बोल सकते हैं, जबकि शास्त्री और द्रविड़ को ये हक नहीं था। इतना ही नहीं, एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि गौतम गंभीर के कहने पर ही मुंबई में रैंक टर्नर बनाई गई, जिसमें भारतीय बल्लेबाज ही फंस गए और टीम 25 रन से मुकाबला हार गई।
बीसीसीआई के नियमों के अनुसार, चयन मामलों में मुख्य कोचों की कोई भूमिका नहीं होती है, जिसे शास्त्री ने अपने कार्यकाल के दौरान और अपने सफल कार्यकाल के अंत के बाद और उनके बाद हेड कोच बने राहुल द्रविड़ ने अक्सर उठाया था, लेकिन बोर्ड ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के महत्व को देखते हुए एक अपवाद बनाया और गंभीर को चयन बैठक का हिस्सा बनने की अनुमति दी।
पीटीआई को बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया, "ऑस्ट्रेलिया के दौरे की अहमियत को देखते हुए मुख्य कोच को इसमें भाग लेने की अनुमति दी गई।" जुलाई में अपनी नियुक्ति के बाद से ही गंभीर ने चयन मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, रोहित शर्मा के टी20 प्रारूप से संन्यास लेने के बाद भारत के टी20 कप्तान के रूप में सूर्यकुमार यादव का चयन और हार्दिक पांड्या को कप्तान नहीं बनाए जाने में गंभीर का हाथ रहा।
इतना ही नहीं, गौतम गंभीर ने केवल नौ प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले हर्षित राणा को भी ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के चयन पर जोर दिया, जिसने काफी लोगों को चौंका दिया। इसके अलावा उनको इंडिया ए टीम में शामिल किया, जो ऑस्ट्रेलिया में अनऑफिशियल टेस्ट सीरीज खेल रही है। दिल्ली का यह तेज गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया में इंडिया ए दौरे के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि उसने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट से पहले मुंबई में भारतीय टीम के साथ अभ्यास किया था और इससे पहले असम के खिलाफ घरेलू मैदान पर रणजी ट्रॉफी मैच खेला था। गंभीर ने नीतीश रेड्डी को भी इसलिए टीम में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई, क्योंकि उनको लगता है कि वे हार्दिक पांड्या की तरह पेस ऑलराउंडर हैं।
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