Hindi Newsछत्तीसगढ़ न्यूज़Rape of a 9 year old girl dead body Chhattisgarh High Court did not pronounce sentence this was the reason

9 वर्षीय बच्ची की लाश से रेप, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नहीं सुनाई सजा; ये थी वजह

मौजूदा भारतीय कानून में शव के साथ रेप (नेक्रोफीलिया) को अपराध की केटेगरी में शामिल नहीं किया गया है। इस आधार पर आरोपी को सजा नहीं दी जा सकती।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, रायपुरSun, 22 Dec 2024 12:56 PM
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9 वर्षीय बच्ची की लाश से रेप, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नहीं सुनाई सजा; ये थी वजह

मामला साल 2018 में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में 9 वर्षीय बच्ची की हत्या के बाद रेप करने का है। इसी मामले में पीड़ित बच्ची की मां ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसका फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि एक लाश के साथ रेप करना सोचे गए सबसे भयानक कार्यों में से एक है, लेकिन यह बलात्कार कानूनों और पॉक्सो के तहत किसी भी अपराध की केटेगरी में नहीं आता है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बिभू दत्त गुरु की पीठ ने इस मामले में कहा कि बलात्कार के अपराध को अंजाम देने के लिए पीड़ित का जिन्दा होना जरूरी है। इसका मतलब मौजूदा भारतीय कानून में शव के साथ रेप (नेक्रोफीलिया) को अपराध की केटेगरी में शामिल नहीं किया गया है। इस आधार पर आरोपी को सजा नहीं दी जा सकती। इस तरह पीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मां की याचिका को खारिज कर दिया है।

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हत्या और रेप का यह मामला साल 2018 का है। जब छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में नौ साल की बच्ची के साथ दरिंदगी और हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस घटना के लिए आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी ने अपने बयान में कहा था कि उसने लाश के साथ रेप किया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट ने मुख्य आरोपी नितिन यादव को हत्या और अन्य अपराधों में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं इस वारदात में शामिल नीलकंठ नागेश को साक्ष्य मिटाने के लिए सात साल की सजा सुनाई थी।

कैंब्रिज डिक्शनरी के अनुसार नेक्रोफीलिया का मतलब शवों के साथ होने वाला सैक्सुअल अट्रैक्शन होता है यानि शवों के साथ होने वाला यौन आकर्षण। नैक्रोफीलिया आमतौर पर दुर्लभ और असामान्य घटना है। इसके साक्ष्य बहुत कम मिलते हैं। मोचे सभ्यता (अब पेरू) के कुछ लोग मानते थे कि शवों के साथ सेक्स करने से वे मृतकों के साथ आध्यात्मिक संबंध बनाते हैं। वहीं लखनऊ के केजीएमयू के एक विशेषज्ञ एस सी तिवारी के मुताबिक यह एक मेंटल डिसीज है, जो दस लाख में से एक व्यक्ति को होती है।

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