सिंडिकेट का दिया पूरा साथ, शराब घोटला रोकने को कुछ नहीं किया; कवासी लखमा पर ED के क्या-क्या आरोप
भूपेश बघेल कैबिनेट का हिस्सा रहे पूर्व मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2100 करोड़ के शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। एजेंसी का कहना है कि लखमा ने शराब घोटाले को रोकने के लिए 'कुछ नहीं किया।'
भूपेश बघेल कैबिनेट का हिस्सा रहे पूर्व मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2100 करोड़ के शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। एजेंसी का कहना है कि लखमा ने शराब घोटाले को रोकने के लिए 'कुछ नहीं किया।' 67 साल के लखमा को ईडी ने 15 जनवरी को रायपुर में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया। जहां से उन्हें 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।
घोटाला रोकने को कुछ नहीं किया
लखमा कोंटा विधानसभा सीट से छह बार विधायक रह चुके हैं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं। ईडी ने एक बयान में आरोप लगाते हुए कहा, 'कवासी लखमा को शराब घोटाले सहित आबकारी विभाग के पूरे मामलों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने नीति परिवर्तन में अहम भूमिका निभाई, जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में एफएल-10ए लाइसेंस की शुरुआत हुई।'
झूठे मामले में भेजा जा रहा जेल
छत्तीसगढ़ सरकार के एफएल-10ए लाइसेंस, लाइसेंस धारकों को विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई करने की अनुमति देता है। ईडी ने जब लखमा को अदालत में पेश किया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ की गई छापेमारी के दौरान कोई दस्तावेज या एक पैसा भी नहीं मिला। उन्होंने कहा, 'मुझे झूठे मामले में जेल भेजा जा रहा है।' ईडी के बयान में कहा गया है कि लखमा सिंडिकेट (शराब) का 'एक अभिन्न अंग' थे और ‘उनके निर्देश पर प्रक्रिया और कार्यप्रणाली में हेरफेर की गई।’ इस तरह उन्होंने सिंडिकेट की मदद की।
सरकारी खजाने को हुआ नुकसान
एजेंसी ने आगे दावा किया कि लखमा को 2019-2022 के बीच हुए शराब 'घोटाले' से मिली अपराध की आय में से 'कम से कम' 2 करोड़ रुपये हर महीने मिल रहे थे। ईडी ने दावा किया कि वह अचल संपत्तियों के निर्माण में लखमा को मिली अपराध की आय के इस्तेमाल को जोड़ने वाले 'साक्ष्य' एकत्र करने में सक्षम है। ईडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शराब 'घोटाले' के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को 'भारी नुकसान' हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें अपराध की 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर गईं।
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