मैं अनपढ़ हूं, नहीं पता किसपर किए हस्ताक्षर; छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में गिरफ्तारी पर बोले कवासी लखमा
भूपेश बघेल कैबिनेट में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें रायपुर की एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
भूपेश बघेल कैबिनेट में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें रायपुर की एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। कोंटा से छह बार विधायक रहे 67 साल के लखमा पर 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले का आरोप है। यह घोटाला कथित तौर पर 2019 से 2023 के बीच हुआ था, जब वे बघेल मंत्रिमंडल का हिस्सा थे।
ईडी को मिली 6 दिन की हिरासत
रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की विशेष अदालत में लखमा को पेश करते हुए ईडी ने दावा किया कि पूर्व मंत्री को कथित घोटाले से 72 करोड़ रुपये मिले। उन्होंने उस पैसे का कुछ हिस्सा कांग्रेस कार्यालय और अपने बेटे हरीश के लिए सुकमा में घर बनाने में इस्तेमाल किया। ईडी ने अपने वकील सौरभ कुमार पांडे के जरिए धन के स्रोत का पता लगाने के लिए लखमा की हिरासत मांगी। लखमा के वकील फैसल रिजवी ने पुष्टि की कि कांग्रेस नेता को छह दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।
पूर्व मंत्री और उनके बेटे के आवास पर छापेमारी
लखमा की गिरफ्तारी ईडी द्वारा उनसे जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के एक पखवाड़े (15 दिन) से कुछ ज्यादा समय बाद हुई है, जिसमें राजधानी रायपुर में उनके आधिकारिक आवास और सुकमा में उनके बेटे हरीश के आवास पर भी शामिल था। यह मामला उन आरोपों से जुड़ा है कि एक आपराधिक गिरोह, आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से, सरकारी शराब की दुकानों में अवैध शराब की तस्करी कर रहा था। साथ ही शराब की बिक्री से अवैध कमीशन वसूल रहा था। ईडी के अनुसार, गिरोह ने 2,161 करोड़ रुपये जमा किए हैं।
मैं अनपढ़ हूं
इंडियन एक्यप्रेस के अनुसार, छापेमारी के एक दिन बाद 29 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए पूर्व आबकारी मंत्री ने दावा किया था कि उन्हें इस घोटाले के बारे में कुछ नहीं पता। लखमा ने कहा, 'उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मुझे शराब घोटाले के बारे में पता है। मैंने कहा कि मैंने इसे टीवी पर देखा और अखबारों में पढ़ा, लेकिन यह मेरे संज्ञान में नहीं आया। मैं एक अनपढ़ व्यक्ति हूं। मेरे सामने जो भी कागज रखे गए, मैंने उन पर हस्ताक्षर कर दिए। उन्होंने किसपर मेरे हस्ताक्षर लिए, मुझे नहीं पता।' वहीं ईडी ने अदालत को बताया कि लखमा ने घोटाले को नहीं रोका बल्कि सिंडिकेट के एक अभिन्न अंग के रूप में काम किया। एजेंसी ने कहा कि अपनी भूमिका के बदले में लखमा को 36 महीने की अवधि में कुल 72 करोड़ रुपये मिले।
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