आजादी के 78 साल बाद छत्तीसगढ़ के इस गांव में पहुंची बिजली, कलेक्टर ने बताई देरी की वजह
भारत को आजाद हुए 78 साल बीत चुके हैं। मगर अब भी कुछ जगह ऐसी हैं जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है। ऐसा ही एक गांव छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित छुटवाही था। जहां गुरुवार को बिजली पहुंची है। एक साल पहले तक सड़क से गांव तक नहीं पहुंचा जा सकता था।
भारत को आजाद हुए 78 साल बीत चुके हैं। मगर अब भी कुछ जगह ऐसी हैं जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है। ऐसा ही एक गांव छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित छुटवाही था। जहां गुरुवार को बिजली पहुंची है। एक साल पहले तक सड़क से गांव तक नहीं पहुंचा जा सकता था और इसपर माओवादियों का कब्जे था। यह गांव बीजापुर मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। दो महीने पहले, सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों को इलाके से खदेड़ने के लिए नक्सल विरोधी अभियान चलाया गया। कई मुठभेड़ों के बाद यहां एक सुरक्षा शिविर स्थापित किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा, 'आजादी के बाद पहली बार हम ग्रामीणों को बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम हुए हैं क्योंकि बीजापुर में नए सुरक्षा शिविर बनने से हम इन क्षेत्रों तक पहुंच पा रहे हैं। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता नए सुरक्षा शिविरों के खुलते ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना और गांवों तक पहुंच बनाना है। अगले साल तक हम उन्हें रोड कनेक्टिविटी प्रदान करने की कोशिश करेंगे।'
मिश्रा ने कहा, 'नियाद नेल्लनार योजना के तहत बिजली के अलावा, हम उन्हें जल जीवन मिशन, मोबाइल टावर, स्कूल, आंगनवाड़ी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पानी की आपूर्ति प्रदान कर रहे हैं।' एक अधिकारी के अनुसार, बीजापुर के 100 से ज्यादा गांवों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं है। अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे सुरक्षा बल आगे बढ़ेंगे और गांवों को माओवादियों से मुक्त कराएंगे, प्रशासन वहां के लोगों को बिजली के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत अन्य लाभ देगा।
इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने 210 माओवादियों को मार गिराया है। राज्य गठन के बाद से एक साल में माओवादियों को हुई यह सबसे बड़ी क्षति है। इसी अवधि के दौरान, राज्य के बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में 17 सुरक्षाकर्मी और 62 नागरिक मारे गए, जिसमें बीजापुर सहित सात जिले शामिल हैं।
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