BAMS में पढ़ाया जाएगा ज्योतिष, आयुर्वेदिक काउंसिल के फैसले पर भड़के वैज्ञानिक, जानें क्या कहा
नेशनल काउंसिल फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) डिग्री कोर्स में मेडिकल एस्ट्रोलॉजी को एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर शामिल किया है।
नेशनल काउंसिल फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) डिग्री कोर्स में मेडिकल एस्ट्रोलॉजी को एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर शामिल किया है। एनसीआईएसएम ही भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा की देखरेख करता है। करीब 1000 छात्रों ने इस विषय के लिए एनरोलमेंट भी करा लिया है। 10 माह के मेडिकल एस्ट्रोलॉजी प्रोग्राम में 25 वीडियो लेक्चर होंगे। देश की आयुर्वेदिक काउंसिल एनसीआईएसएम ने दावा किया है कि इस विषय के जरिए स्टूडेंट्स पेट, हृदय, बुखार और टीवी से जुड़ी बीमारियों का ज्योतिष विश्लेषण करना सीखेंगे।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जयपुर के वाइस चांसलर ने कहा कि आयुर्वेद के स्टूडेंट्स को मेडिकल एस्ट्रोलॉजी जरूर सीखनी चाहिए। ग्रहों की स्थिति में परिवर्तन का व्यक्ति के स्वास्थ्य व मस्तिष्क पर सीधा असर पड़ता है।
बहुत से वैज्ञानिक नाराज
हालांकि आयुर्वेदिक बैचलर डिग्री कोर्स बीएएमएस में ज्योतिष को शामिल करने पर बहुत से वैज्ञानिकों ने कड़ी नाराजगी जताई है। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी ने कहा है कि इस फैसले से भारतीय शिक्षा का स्तर गिरेगा और इस नुकसान की भरपाई कभी नहीं पाएगी।
सोसायटी ने कहा, 'एस्ट्रोलॉजी में बताई गई बातों को कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। ग्रहों की स्थिति बदलने से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है और न ही इन परिवर्तनों की कोई मेडिकल वेल्यू है। सिलेबस में इस तरह के गैर-वैज्ञानिक विषय शामिल करने से ऐसे डॉक्टर पैदा होंगे जिनका झुकाव बिना तर्क वाली बातों की तरफ होगा और इससे मेडिकल पेशे का लेवल गिरेगा।'
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