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बिना नीट दाखिले : मॉपअप राउंड में हुए सबसे ज्यादा फर्जी एडमिशन, सीटें खाली रहने के बाद हुआ खेल

Ayush Admission Without NEET : आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। अब तक की जांच में पता चला कि सबसे ज्यादा फर्जी दाखिले काउंसलिंग की मापअप राउंड में हुए।

Pankaj Vijay मुख्य संवाददाता, लखनऊThu, 17 Nov 2022 07:59 AM
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आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। अब तक की जांच में पता चला कि सबसे ज्यादा फर्जी दाखिले काउंसलिंग की मापअप राउंड में हुए। आयुष कॉलेजों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य बिचौलिए की भूमिका में थे। कॉलेज संचालकों ने अपने संपर्कों के जरिए फर्जी छात्रों के दाखिले कराए। यही वजह है कि एसटीएफ कॉलेज प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों से पूछताछ कर रही है। इसके बाद फर्जी दाखिला लाने वाले छात्रों से भी पूछताछ हो सकती है।

नीट परिणाम जारी करने के बाद तीन चरणों में काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी की गई। पहले चरण की काउंसलिंग एक फरवरी से दो मार्च तक तथा दूसरे चरण की तीन से 30 मार्च के बीच थी। मापअप राउंड 30 मार्च से 20 अप्रैल तथा 6 से 19 मई के बीच चला। जब फ्रेश दाखिले हो गए और सीटें खाली रह गईं तो मेरिट नीचे कर मापअप राउंड की काउंसलिंग कराई गई। इसी दौरान कम मेरिट वाले छात्रों के भी एडमिशन ले लिए गए। नीट में शामिल न होने वालों के भी दाखिले हो गए।

एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में ज्यादातर प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों ने फर्जी एडमिशन से इनकार कर दिया। इन सभी ने दावा किया कि सीट एलाटमेंट लेकर आने वाले छात्रों के ही एडमिशन लिए गए। एडमिशन के लिए काउंसलिंग बोर्ड जिम्मेदार था। जांच में पता चला कि छात्रों और काउंसलिंग के बीच कॉलेज प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों की सीधी भूमिका रही। ज्यादातर फर्जी दाखिला पाने वाले छात्र संबंधित कालेज प्रबंधन के संपर्क में थे। उन्हीं संपर्कों के जरिए काउंसलिंग एजेसी तक छात्र पहुंचे और एडमिशन में कामयाब हो गए।

बिना नीट सीट अलॉटमेंट कैसे हुआ, फंसे अधिकारी
एसटीएफ ने इस मामले में निदेशालय के अफसरों व कर्मचारियों से यह सवाल जरूर पूछा कि बिना नीट पास किये सीट एलाटमेंट कैसे हो गया। इस पर सब चुप्पी साध गये। जिन अभ्यर्थियों का मामला फंसा हुआ है, वह सब नीट में पास ही नहीं हुये थे। दावा यह भी है कि कई ऐसे अभ्यर्थी भी दाखिला पा गये जिन्होंने नीट परीक्षा ही नहीं दी थी। एसटीएफ के अफसरों का कहना है कि इन बिन्दुओं पर पड़ताल की जा रही है। गोमतीनगर स्थित राजकीय होम्योपैथिक कालेज में सील किये गये दो कमरों में रखे दस्तावेजों को गुरुवार को फिर खंगाला जायेगा।

निलंबित छात्रों की भी बढ़ेंगी मुश्किलें
जांच में यह साफ हो गया कि 891 फर्जी दाखिले लिए गए। आयुर्वेद अफसरों, काउंसलिंग करने वाली निजी एजेंसियों तथा कॉलेज प्रबंधकों से पूछताछ के बाद फर्जी एडमिशन पाने वाले छात्रों से भी पूछताछ होगी। एसटीएफ के पास फर्जी एडमिशन से संबंधित छात्रों के रिकॉर्ड मौजूद हैं। नाम, पते और मोबाइल नंबर के साथ सूची तैयार की गई है। इन सभी से पूछताछ के बाद छात्र छात्राओं से भी पूछताछ होगी। एसटीएफ के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि छात्रों से पूछताछ में केस को मजबूती मिलेगी। छात्र यह बता देगा कि किसने कितने पैसे लिए थे। यह फर्जीवाडे का अहम साक्ष्य होगा।

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