Hindi Newsकरियर न्यूज़NEET UG JEE Main : What Are The Major Changes NEET JEE Mains Will Undergo From 2025 year Explained

NTA : 2025 में जेईई मेन व नीट समेत अहम प्रवेश परीक्षाओं में कौन से बदलाव संभव

  • NTA reforms : पैनल ने एनटीए की परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी तरह की धांधली रोकने के लिए डिजी यात्रा की तरह डिजी एग्जाम सिस्टम की भी सिफारिश की है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 19 Dec 2024 07:57 PM
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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के कामकाज में सुधार के लिए बनाई गई समिति की ओर से दिए गए कई सुझावों के बाद शिक्षा मंत्रालय नीट यूजी 2025 , जेईई मेन 2025 और सीयूईटी यूजी 2025 जैसी प्रवेश परीक्षाओं के तौर तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव करने वाला है। नीट यूजी 2024 में गड़बड़ी का मामला आने के बाद केंद्र सरकार ने एनटीए में सुधार व प्रवेश परीक्षाओं को पारदर्शी ढंग से करवाने के लिए इस समिति का गठन किया था। पैनल ने परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी तरह की धांधली रोकने के लिए डिजी यात्रा की तरह डिजी एग्जाम सिस्टम की भी सिफारिश की है।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, 'उम्मीदवारों को हर बार परीक्षा देने के लिए अपना डेटा अपलोड करना आवश्यक है। आवेदन प्रक्रिया के दौरान इस जानकारी को सत्यापित करना की काफी नहीं है क्योंकि एनटीए कई टीआईए को देखता है। इससे उम्मीदवार और जिस कोर्स में वे शामिल हो रहे हैं, उसके बीच कम्युनिकेशन गैप पैदा कर सकता है। इससे परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार और कोर्स में एडमिशन लेने व्यक्ति के बीच विसंगतियां हो सकती हैं। डिजिट एग्जाम सिस्टम इसे रोकने में मदद कर सकती है।'

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि एनटीए केवल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। एनटीए अब भर्ती परीक्षाएं नहीं कराएगा। इससे पहले एनटीए विभिन्न विश्वविद्यालयों की नॉन टीचिंग पदों की भर्तियां भी कराता था।

सुधार क्या हैं

अक्टूबर में शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई ‘भारत में राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा में सुधार’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में उच्च स्तरीय समिति ने कुछ सिफारिशें कीं हैं जिनमें सभी प्रवेश परीक्षाओं के लिए कंप्यूटर-आधारित टेस्ट (सीबीटी) फॉर्मेट और उन स्थानों के लिए हाइब्रिड मॉडल शामिल हैं, जहां पूरी तरह से नलाइन परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकतीं। हाइब्रिड मॉडल के मामले में प्रश्नपत्रों का डिजिटल ट्रांसफर, जेईई की तरह नीट यूजी के लिए भी मल्टी स्टेज परीक्षा आयोजित करना; सीयूईटी यूजी में विषय विकल्पों की संख्या कम करना; अस्थायी कर्मचारियों के बजाय एनटीए में स्थायी कर्मियों को नियुक्त करना; और आउटसोर्स/निजी केंद्रों की संख्या सीमित करना और इसके बजाय सरकारी संस्थानों में नए सीबीटी केंद्र स्थापित करना आदि शामिल हैं।

एनडीए सरकार द्वारा 2017 में स्थापित एनटीए भारत में 15 प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं का संचालन करता है जिनमें नीट-यूजी, जेईई मेन, सीयूईटी यूजी, यूजीसी सीएसआईआर नेट और यूजीसी नेट आदि शामिल हैं। अब तक नीट यूजी पेन पेपर मोड पर होता आ रहा था लेकिन अब इसके सीबीटी मोड में कराने की सिफारिश की गई है।

एनटीए के पुनर्गठन में क्या क्या होगा?

पैनल ने सुझाव दिया है कि एनटीए को सशक्त और जवाबदेही संस्थान होना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'एनटीए में भीतर के ही विषय एक्सपर्ट्स डाले जाने चाहिए जिन्हें भविष्य में परीक्षण प्रक्रिया का प्रभार संभालना चाहिए।'

इसने एनटीए के लिए 10 विशिष्ट कार्यक्षेत्रों पर जोर दिया जिनका नेतृत्व निदेशक स्तर पर किया जाएगा। समिति ने सिफारिश की है, 'दो अतिरिक्त महानिदेशकों को कामों को संभालना चाहिए। एडीजी-1 को प्रौद्योगिकी, उत्पादों और संचालन से संबंधित पांच कार्यों की देखरेख करनी चाहिए, जबकि एडीजी-2 को सिक्योरिटी व सर्विलांस पर ध्यान देना चाहिए।"

इसने यह भी कहा कि एनटीए और प्रत्येक टेस्ट इंडेंटिंग एजेंसी को अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'एनटीए को सुरक्षित तरीके से परीक्षा कराने के लिए राज्य/जिला अधिकारियों को साथ लेना चाहिए। राज्य और जिला स्तर पर समन्वय समितियों को स्पष्ट जिम्मेदारियों के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।'

परीक्षा सुधारों पर केंद्र की उच्चस्तरीय समिति ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) में स्थायी कर्मियों की नियुक्ति करने की जगह आकर्षक सेवा शर्तों के साथ कर्मियों तथा क्षेत्र विशेषज्ञों के लिए लंबे कार्यकाल की सिफारिश की है। सुझावों में कहा गया है कि 'सक्षम और इच्छुक व्यक्तियों को एनटीए में ट्रांसफर करने के लिए आकर्षक सेवा शर्तें तैयार की जा सकती हैं। इसमें प्रतिनियुक्ति पर विशेष वेतन/उच्च ग्रेड, प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहन या योजनाएं, आयु सीमा में छूट शामिल हैं।' इस सात सदस्यीय समिति ने कहा है कि एनटीए को आंतरिक विषय-विशिष्ट मानव संसाधनों और विषय विशेष ज्ञान, अच्छे अनुभव तथा कौशल के साथ एक नेतृत्व समूह द्वारा संचालित किया जाना चाहिए, जो भविष्य में परीक्षण प्रक्रिया का प्रभार संभाले।

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मल्टी-सेशन और मल्टी-स्टेज टेस्टिंग क्या हैं?

सुझाए गए प्रमुख नीतिगत बदलावों में मल्टी-सेशन और मल्टी-स्टेज टेस्टिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं। पैनल ने नीट यूजी के लिए मल्टी-स्टेज टेस्टिंग को सुझाया है जिसका पालन किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रत्येक चरण में स्कोरिंग/रैंकिंग और प्रयासों की संख्या सीमित की जा सकती है।'

सीयूईटी में विषय बहुत अधिक होते हैं। इसे लेकर पैनल ने सुझाया है कि विषयों को कम कर उन्हें स्ट्रीमलाइन करना होगा। सीयूईटी परीक्षा में विषयों की स्ट्रीम्स को युक्तिसंगत बनाया जा सकता है ताकि संबंधित स्ट्रीम्स का केवल एक छोटा ग्रुप ही रखा जा सके।"

इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में उपलब्ध कुल विषय विकल्पों की संख्या 67 से घटाकर 37 करने की घोषणा की है। इसमें डोमेन विषयों की संख्या 29 से घटाकर 23 करना भी शामिल है।

टेस्टिंग सेंटर आवंटन नीति क्या है

उम्मीदवार को अपने निवास जिले में परीक्षा केंद्र की चॉइस मिलना सुनिश्चित करने के लिए समिति ने एनटीए को टेस्टिंग सेंटर एलोकेशन पॉलिसी अपनाने की सलाह दी है। अगर कहीं अजीब तरीके से परीक्षा केंद्र चुनने का मामला दिखता है तो ये चीज डेटा एनालिटिक्स से पता चल सकती है। टेस्ट से पहले पर जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर सेंटर चुनने में कहीं कोई चीज संदिग्ध या असामान्य नजर आती है तो इससे जुड़ी शर्त एप्लीकेशन फॉर्म में डाली जानी चाहिए। नीट यूजी 2024 से समय दूर दराज के परीक्षा केंद्र चुनने का मामला सामने आया था।

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उन जगहों के लिए हाइब्रिड मॉडल जहां सीबीटी संभव नहीं है

पैनल ने उन जगहों के लिए दो तरीके सुझाए हैं जहां सीबीटी प्रारूप संभव नहीं है। ऐसे मामलों में अपनाए जाने वाले तरीकों में से एक यह है कि प्रश्न पत्र डिजिटल रूप से भेजे जाएं। उम्मीदवार ओएमआर शीट में उत्तर लिख सकते हैं। इसका उद्देश्य किसी तीसरे शख्स की भूमिका को रोकना और प्रश्नपत्र को संभालने वाले लोगों की संख्या को सीमित करना है। पेपर इससे पहले पेन पेपर मोड में डिजी-लॉकर में रखा जाता था, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में रखा जाता था और फिर परीक्षा निर्धारित होने से घंटों पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचाया जाता था।

पैनल ने यह भी सिफारिश की कि सीबीटी प्रक्रिया को तब तक अपनाया जाए जब तक कि प्रश्नपत्र परीक्षा केंद्रों के गोपनीय सर्वर तक नहीं पहुंच जाते। इसके बाद प्रश्नपत्र को हाई-स्पीड प्रिंटर का उपयोग करके केंद्र पर छापा जाएगा और फिर पीपीटी मोड में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को वितरित किया जाएगा। इस पद्धति का पायलट टेस्ट इसके लागू होने से पहले होना चाहिए।

स्टैंडर्डाइज्ड और मोबाइल टेस्टिंग सेंटर

समिति ने सिफारिश की है कि देश के हर जिले (बहुत कम आबादी वाले जिलों को छोड़कर) में एक स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट सेंटर (एसटीसी) होना चाहिए जो मांग के आधार पर सीबीटी/पीपीटी फार्मेट आयोजित कर सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनटीए देश भर में सरकारी संस्थानों में चरणबद्ध तरीके से 1,000 एसटीसी विकसित करने का लक्ष्य रख सकता है।'

रिपोर्ट मे कहा गया है , 'ग्रामीण, दूरदराज, अपेक्षाकृत दुर्गम क्षेत्रों, उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर और उत्तर-हिमालयी राज्यों, आदि से इच्छुक उम्मीदवारों की सुविधा के लिए मोबाइल टेस्ट सेंटर (एमटीसी) की भी सिफारिश की। आमतौर पर 40-50 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता वाली एक बड़ी बस में 30 उम्मीदवार बैठ सकते हैं। इन एमटीसी को सुरक्षित सर्वर से लैस किया जाना चाहिए जो कमांड सेंटर से जुड़े हों।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी प्रवेश परीक्षाओं के सफलता के साथ संपन्न कराने के लिए एनटीए और उसके सहयोगियों को ट्रेनिंग देनी चाहिए। री-ट्रेनिंग से उन्हें नया करना होगा।

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