BEd, BTC/DElEd/BSTC , BElEd और ITEP कोर्स में क्या है अंतर, किसकी कितनी है वेल्यू
- बीएड एक डिग्री कोर्स है और बीटीसी या डीएलएड एक डिप्लोमा कोर्स है। ग्रेजुएशन के बाद ही दो वर्षीय बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) डिग्री कोर्स कर सकते हैं। डीएलएड 12वीं के बाद होता है।
देश में अगर कोई स्कूल टीचर बनना चाहता है तो या तो वह बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) करता है या फिर डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) करता है। डीएलएड को बीटीसी यानी बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट भी कहा जाता है। राजस्थान में इसे बीएसटीसी (बेसिक स्कूल टीचिंग सर्टिफिकेट) कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डीएलएड करने वाले ही देश में प्राइमरी टीचर बन सकते हैं। वे ही कक्षा 1-5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के पात्र हैं। बीएड करने वाले उम्मीदवार कक्षा 1-5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के योग्य नहीं है। बीएड करने वाले टीचर कक्षा 5 से ऊपर की कक्षाओं को ही पढ़ा सकते हैं।
बीएड और डीएलएड के अंतर को समझें
बीएड एक डिग्री कोर्स है और बीटीसी या डीएलएड एक डिप्लोमा कोर्स है। ग्रेजुएशन के बाद ही दो वर्षीय बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड ) डिग्री कोर्स कर सकते हैं। बीएड डिग्री धारक उम्मीदवार स्कूल में कक्षा 5 से ऊपर के शिक्षकों की नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। वे ही अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर तक की कक्षाओं में अध्यापन कार्य करने के पात्र हैं। वहीं दूसरी तरफ डीएलएड 12वीं के बाद किया जा सकता है। डीएलएड डिप्लोमा कोर्स की अवधि भी 2 साल की है। इसके लिए 12वीं में 50 प्रतिशत अंक होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार डीएलएड करने वाले ही देश में प्राइमरी टीचर बन सकते हैं। वे ही कक्षा 1-5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के पात्र हैं।
बीएलएड कोर्स (B.El.Ed) क्या है
बीएलएड यानी बैचलर ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन। यह चार वर्षीय डिग्री कोर्स है जिसमें 12वीं के बाद दाखिला लिया जा सकता है। इसे करने के बाद प्राइमरी कक्षाओं क्लास 1-5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाया जा सकता है। बीएलएड एक डिग्री कोर्स है। डीयू के कुछ कॉलेजों में यह कोर्स पढ़ाया जाता है।
नया ITEP कोर्स क्या है
अगर आप इंटीग्रेटड टीचर एजुकेशन प्रोगाम (आईटीईपी) कोर्स कर लेते हैं तो आपको सरकारी स्कूल में अध्यापक बनने के लिए बीएड या डीएलएड जैसे कोर्स करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार किया गया है। यह पुराने 4-वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स से अलग है। यह कोर्स भी चार साल का है। दरअसल एनसीटीई ने पूरे देश में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से आईआईटी, एनआईटी, सेंट्रल व स्टेट यूनिवर्सिटी समेत 57 अध्यापक शिक्षा संस्थानों (टीईआई) में आईटीईपी शुरू किया था। मार्च 2023 में इस कोर्स को लॉन्च किया गया था। यह एनईपी 2020 के तहत लाया गया एनसीटीई का एक प्रमुख कार्यक्रम है। आईटीईपी, जिसे 26 अक्टूबर 2021 को अधिसूचित किया गया था, एक 4 साल की दोहरी-समग्र स्नातक डिग्री है, जो बीए बीएड, बीएससी बीएड / और बीकॉम बीएड कोर्स ऑफर करती है। यह कोर्स नई शिक्षा नीति के अंतर्गत दिए गए नए स्कूल एजुकेशन सिस्टम के 4 चरणों यानी फाउंडेशनल, प्रिपरेटरी, मिडिल और सेकेंडरी (5+3+3+4) के लिए शिक्षकों को तैयार कर रहा है।
अगर उम्मीदवार ने चार साल का इंटीग्रेटेड टीचर एजूकेशन प्रोग्राम पूरा कर लिया है तो उसके लिए टीईटी, एसटीईटी या स्टेट लेवल के अन्य टेस्ट क्लियर करके टीचर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
आईटीईपी बचाता है एक साल
आईटीईपी इंटीग्रेटेड कोर्स से छात्रों को एक वर्ष की बचत होती है। वे वर्तमान बीएड योजना के लिए आवश्यक 5 वर्षों (तीन साल की ग्रेजुएशन व दो साल का बीएड) के बजाय इस पाठ्यक्रम को 4 वर्षों में पूरा करेंगे। आईटीईपी 4 साल की ड्यूल डिग्री है जो बीए बीएड/ बीएससी बीएड और बीकॉम बीएड कोर्स ऑफर करती है।
2030 से आईटीईपी का होगा बोलबाला
एनईपी 2020 की सिफारिशों के तहत ही 2030 से स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता तय की गई है। नई शिक्षा नीति के प्रावधानों की मानें तो 2030 के बाद स्कूलों में वहीं शिक्षक भर्ती होंगे जिन्होंने नया वाला आईटीईपी चार वर्षीय बीएड कोर्स किया होगा। तीन साल पहले 2021 में शिक्षा मंत्रालय ने आईटीईपी को अधिसूचित करते समय कहा था कि 2030 से शिक्षकों की भर्ती केवल आईटीईपी के माध्यम से होगी।
हालांकि दो वर्षीय बीएड भी चलेगा लेकिन इसका प्रयोग उच्च शिक्षा के लिए होगा। दो साल का बीएड केवल एकेडमिक होगा। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी कर सकेंगे।
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