बिहार में हजारों शिक्षकों की नौकरी पर तलवार, BPSC TRE पास लेकिन CTET शर्त में फेल, कइयों के डॉक्यूमेंट फर्जी
- हाल ही में बीपीएससी टीआरई 1 और टीआरई 2 के जरिए राज्य में हजारों शिक्षकों की बहाली हुई थी। लेकिन सीटीईटी पात्रता शर्त पूरी न कर पाने और फर्जी दस्तावेजों के चलते बहुतों की नौकरी जा सकती है।
बिहार में हजारों सरकारी टीचरों की नौकरी जा सकती है। पात्रता शर्तों पर खरा न उतरने और फर्जी दस्तावेजों के चलते सरकारी स्कूलों में कार्यरत हजारों शिक्षकों पर बर्खास्तगी का खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं ( टीआरई 1 और टीआरई 2 ) के जरिए राज्य में हजारों शिक्षकों की बहाली हुई थी। लेकिन सीटीईटी पात्रता शर्त पूरी न कर पाने और फर्जी दस्तावेजों के चलते बहुतों की नौकरी जा सकती है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में कम से कम 60 प्रतिशत अंक की शर्त पूरी न करने के बावजूद शिक्षक भर्ती परीक्षा टीआरई 1 और टीआरई-2 के जरिए भर्ती हुए बाहरी राज्यों के बड़ी संख्या में स्कूली शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच से पता चला है कि यह संख्या काफी अधिक हो सकती है। अधिकांश जिलों से ऐसे शिक्षकों के खिलाफ शिकायतें आ रही हैं। प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार की ओर से सोमवार को जारी आदेश में कहा गया, "नियमों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल बिहार के निवासी ही राज्य आरक्षण फार्मूले के तहत लाभ के लिए पात्र होंगे, अन्य राज्यों से आवेदन करने वाले नहीं।' यह आदेश शिक्षिका कुमारी चंदानी के मामले में दिया गया है, जिन्होंने महिला उम्मीदवारों के लिए 5 फीसदी छूट का लाभ पाने के लिए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने शिक्षा विभाग को शिक्षिका की अपील पर विचार करने का निर्देश दिया था। विभाग ने कहा कि बाहरी राज्य (उत्तर प्रदेश) के आवेदकों को राज्य के आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है। शिक्षिका चांदनी बीपीएससी टीआरई क्रैक कर नियुक्ति पाने में सफल हो गई थी। अरवल में पोस्टिंग भी हो गई थी। लेकिन जब गड़बड़ी (सीटीईटी में आवश्यक 60 फीसदी से कम मार्क्स) सामने आई तो उसकी काउंसलिंग रोक दी गई। सीटीईटी में कम मार्क्स आने के वजह से महिला आरक्षण के तहत उन्होंने पांच फीसदी छूट की मांग की थी।
हालांकि अयोग्यता का यह सिर्फ एक शिक्षक का केस नहीं है। शिक्षा विभाग ने पूरे राज्य में ऐसे सैकड़ों शिक्षकों की पहचान की है, जिन्होंने सीटीईटी (CTET) में 60 फीसदी अंक न होने के बावजूद टीआरई परीक्षा पास कर ली है। यह उन लोगों से अलग है, जिन्होंने जाली दस्तावेज बनाए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी संदिग्ध शिक्षकों से सीटीईटी योग्यता न होने या जाली दस्तावेजों के संबंध में अकसर स्पष्टीकरण मांगते रहे हैं।
पंचायत-राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के जरिए 2006 से 2015 के बीच भर्ती हुए शिक्षकों से जुड़ी सतर्कता जांच अभी पूरी होनी है। ट्रांसफर और पोस्टिंग से पहले चल रही काउंसलिंग के दौरान फर्जी दस्तावेजों वाले कई शिक्षकों को पकड़ा गया है।
इसके अलावा सक्षमता परीक्षा पास उम्मीदवारों की काउंसलिंग के दौरान भी फर्जी शिक्षक पकड़े गए हैं। बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए यह परीक्षा हो रही है। पंचायत-राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से नियुक्त लगभग 1.87 लाख शिक्षकों ने भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त करने के लिए सक्षमता परीक्षा पास कर ली है, जबकि बाकी के परिणाम प्रतीक्षित हैं और कुछ विषयों के लिए दोबारा परीक्षा होनी है। एक अधिकारी ने कहा, 'लंबे समय तक जांच से बचने के बाद वे अब काउंसलिंग के दौरान पकड़े जा रहे हैं क्योंकि सभी दस्तावेजों को सत्यापित करने की आवश्यकता है।'
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