क्या अब भी धनतेरस पर सोना या चांदी खरीदना होगी समझदारी
- Buy Gold Silver On Dhanteras 2024: क्या अब भी लक्ष्मी पूजन के लिए सोना या चांदी खरीदना समझदारी होगी? क्या अब सोने-चांदी और जमीन-जायदाद जैसी चीजों से आगे बढ़कर शेयर बाजार में सीधे या म्यूचुअल फंड के जरिये पैसा नहीं लगाना चाहिए?
Buy Gold Silver On Dhanteras 2024: इस साल अबतक सोना 15000 रुपये से अधिक महंगा हो चुका है। वहीं, चांदी की कीमत 23000 रुपये प्रति किलो से अधिक उछल चुकी है। ऐसे में जो लोग धनतेरस की खरीदारी की तैयारी कर रहे हैं, उनके दिमाग में यह सवाल आना लाजिमी है कि क्या अब भी लक्ष्मी पूजन के लिए सोना या चांदी खरीदना समझदारी होगी? क्या अब सोने-चांदी और जमीन-जायदाद जैसी चीजों से आगे बढ़कर शेयर बाजार में सीधे या म्यूचुअल फंड के जरिये पैसा नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करके आप देश की आर्थिक तरक्की में भी भागीदार बनते हैं और बेहतर कमाई का इंतजाम करते हैं? सोने के दाम और शेयर बाजार में होने वाली कमाई की यह तुलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन वक्त-वक्त पर पलड़ा दोनों ही तरफ झुकता दिखाई देता है।
भारत में चैंपियन बन चुका है सोना
पिछले एक साल के दौरान दुनिया के ज्यादातर विकासशील देशों में सोने का दाम शेयर बाजार के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ा है। इस महीने की शुरुआत तक भारत अकेला ऐसा देश था, जहां के शेयर बाजार ने सोने को पीछे छोड़ रखा था, मगर बाजार में जबर्दस्त गिरावट के बाद अब यहां भी सोना चैंपियन बन चुका है। पिछले दिनों दस ग्राम सोना 80,000 रुपये के पार पहुंच गया है, तो एक किलो चांदी एक लाख रुपये का शिखर फतह कर चुकी है।
अगस्त में गिरकर 69-71 हजार रुपये पर आया था सोना
इसी साल जुलाई में सरकार ने सोने पर आयात शुल्क में कटौती की थी। इसे 15 फीसदी से घटाकर छह प्रतिशत किया गया। इससे सोना सस्ता हो गया। दस ग्राम सोने के दाम जो 75-76 हजार पर थे, अगस्त तक गिरकर 69-71 हजार रुपये पर आ गए। नतीजा यह हुआ कि बाजार में अचानक भारी मांग खड़ी हो गई। जेवरों की बिक्री में 20 फीसदी तक का उछाल देखा गया और देश में सोने का आयात दोगुना हो गया। सिर्फ अगस्त में एक हजार करोड़ डॉलर से ज्यादा का सोना आयात किया गया। सितंबर के बाद से फिर सोने में तेजी का नया दौर शुरू हुआ।
आम आदमी के निवेश पोर्टफोलियो में भी सोने की एक अहम जगह
केंद्रीय बैंकों के भंडार में सोना कई कारणों से जरूरी होता है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय दबाव व जोखिम से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आम आदमी के निवेश पोर्टफोलियो में भी सोने की एक अहम जगह है। निवेश के विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके कुल निवेश का पांच से दस फीसदी तक सोने में जरूर होना चाहिए। और, अब तो इसके लिए यह भी जरूरी नहीं है कि आप सोने के गहने, सिक्के या बिस्कुट ही खरीदें। आप पूरी तरह पेपर गोल्ड या डीमैट गोल्ड खरीद सकते हैं। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, सोने में पैसा लगाने वाले म्यूचुअल फंड या फिर भारत सरकार के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी।
दुनिया के हर कोने में सुरक्षित निवेश का माध्यम है सोना
यहां यह याद करना जरूरी है कि सोना न जाने कब से दुनिया के हर कोने में सुरक्षित निवेश का माध्यम माना जाता है। सोने की खासियत है कि यह नष्ट नहीं होता। जमीन में दबाकर सदियों तक रखा जा सकता है। इसको नए रूप में ढाला जा सकता है। दुनिया में कहीं भी हों, सोना हरेक बाजार में बिक सकता है। इसके गुण इतने हैं कि वे इससे जुड़ी तमाम आशंकाओं पर भारी पड़ते हैं। यही वजह है कि लगभग हर संस्कृति में विवाह और अन्य संस्कारों में सोने के गहने या सिक्कों के लेन-देन का रिवाज है। विशेष तौर पर संकट के समय तो सोना अनमोल हो जाता है।
क्यों उछल रहा सोना
दुनिया की राजनीति और संघर्ष की स्थिति भी सोने के भाव को भड़का रही है। पहले यूक्रेन-रूस युद्ध, फिर इजरायल-हमास में हमलों का दौर और अब कोरिया के आसपास तनाव की खबरें। पिछले काफी समय से अनेक देशों के केंद्रीय बैंक भी सोना खरीद-खरीदकर अपना भंडार बढ़ाने में जुटे हैं। ऐसे देशों में सबसे आगे थे पोलैंड, उज्बेकिस्तान और हमारा भारत। आलम यह था कि सिर्फ जुलाई में 37 टन सोना खरीदा गया। हालांकि, फिर अगस्त में गिरकर यह आठ टन पर पहुंच चुका था।
लोगों के घर-परिवार के पास करीब 27,000 टन सोने का भंडार
यहां गहनों का शौक लगातार सिर चढ़कर बोलता रहा और भारत हर साल सात से आठ सौ टन सोना आयात करता रहा है। कभी-कभी यह गिरकर चार सौ टन तक भी गया है, पर कभी हजार टन के पार भी। जहां भारत का स्वर्ण भंडार, यानी रिजर्व बैंक के पास रखा सोना करीब 800 टन है, वहीं भारत में लोगों के घर-परिवार के पास करीब 27,000 टन सोने का भंडार है।
क्या अब भी समझदारी मानी जाएगी सोने में खरीदारी
सवाल यह है कि इस वक्त जब सोने के दाम आसमान पर हैं, तब भी इसे खरीदना समझदारी मानी जाएगी? इस सवाल का निर्णायक जवाब देना आसान नहीं है। मगर सोने के पिछले सफर पर नजर डालें, तो दिखता है कि हर बार जब कोई सोना खरीदने निकलता है, तो उसके सामने यही सवाल रहता है कि कहीं यह सौदा उसे महंगा तो नहीं पड़ेगा? जौहरी बाजार के लोग बताते हैं कि आम तौर पर लोग यह सोचने में सात-आठ दिन लगाते हैं। इसके बाद अगर दाम गिरते दिखे, तो उन्हें फायदे का सौदा दिखता है, और दाम बढ़ने लगे, तो डर लगता है कि और रुकें, तो और महंगा पड़ सकता है।
सोने के जेवर खरीदें या ईटीएफ
भौतिक सोना : Physical Gold यानी वह सोना,जो हम सर्राफा बाजारों से सोने के बार, जेवर आदि के रूप में खरीदते हैं। सबसे लोकप्रिय इस सोने में निवेश को लेकर कई चुनौतिया हैं। जैसे इसे सुरक्षित जगह स्टोर करना, इसकी शुद्धता संबंधी चिंताएं और इसकी वापसी पर मिलने वाला रिटर्न।
गोल्ड ईटीएफ : दूसरी ओर गोल्ड ईटीएफ सोने में निवेश करने का एक सुविधाजनक तरीका है। यह कागज के टुकड़े के रूप में भले ही मिलता है, लेकिन शेयर में निवेश के समान फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं। हालांकि, लांग टर्म निवेशकों के लिए गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए मैनेजमेंट फीस और टैक्स भी देना पड़ता है।
फिजिकल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ में अंतर
रखरखाव और शुद्धता: फिजिकल गोल्ड के लिए सुरक्षित स्टोर और शुद्धता की जांच की आवश्यकता होती है। जबकि गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में स्टोरेज या शुद्धता की कोई चिंता नहीं करनी पड़ती।
लिक्विडिटी: फिजिकल गोल्ड को डीलरों या सर्राफा दुकानों के माध्यम से बेचने की आवश्यकता होती है। जबकि, गोल्ड ईटीएफ की लिक्विडिटी बहुत अधिक होती है। इसे जब चाहे मार्केट रेट पर अपने मोबाइल से ही बेच सकते हैं। इसका स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है। दूसरी ओर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ईटीएफ की तुलना में कम लेकिन पर्याप्त तरल है। इसे 5 साल पर निकाला जा सकता है।
ब्याज आय: आप अगर अपने घर में फिजिकल गोल्ड रखे हैं तो इस पर कोई ब्याज नहीं मिलता। गोल्ड ईटीएफ भी ब्याज की पेशकश नहीं करता, लेकिन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2.5% वार्षिक ब्याज प्रदान करता है, जो निवेशक के कर दायरे के अनुसार करयोग्य है।
टैक्स: फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ की बिक्री संभावित रूप से दीर्घकालिक या अल्पकालिक तौर पर कैपिटल गेन के अधीन है।
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