Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़investigation orders issued against gensol bluesmart shares fell from rs 1124 and 90 paisa to rs 69 and 74 paisa

जेनसोल, ब्लूस्मार्ट के खिलाफ जांच के आदेश, ₹1124.90 से 69.74 पर आया शेयर

अप्रैल में सेबी ने जेनसोल के प्रमोटर भाइयों अनमोल और पुनीत जग्गी पर पूंजी बाजार से प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उन पर फंड का गलत इस्तेमाल और दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप लगे थे।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानTue, 6 May 2025 06:56 AM
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जेनसोल, ब्लूस्मार्ट के खिलाफ जांच के आदेश, ₹1124.90 से 69.74 पर आया शेयर

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने जेनसोल इंजीनियरिंग, ब्लूस्मार्ट और इससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इन कंपनियों ने कॉर्पोरेट गवर्नेंस के नियमों का उल्लंघन किया है। विवादों में घिरा यह स्टॉक अपने 52 हफ्ते के हाई 1124.90 रुपये से निचेल स्तर 69.74 रुपये पर आ गया है। जेनसोल के शेयर अपने निवेशकों को कंगाल कर चुके हैं।

ईटी के जानकारी वाले सूत्रों के मुताबिक, "कंपनी अधिनियम की धारा 210 के तहत जांच पिछले हफ्ते शुरू की गई है।" यह धारा कंपनी के कामकाज की जांच से संबंधित है। जांच रिपोर्ट तीन महीने के भीतर सरकार को सौंपी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि "अगर जांच में धोखाधड़ी के गंभीर आरोप सामने आते हैं, तो यह मामला SFIO (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस) को सौंपा जा सकता है।"

जग्गी ब्रदर्स पर प्रतिबंध

जेनसोल इंजीनियरिंग ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अप्रैल में सेबी ने जेनसोल के प्रमोटर भाइयों अनमोल और पुनीत जग्गी पर पूंजी बाजार से प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उन पर फंड का गलत इस्तेमाल और दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप लगे थे।

इसके बाद, जग्गी भाइयों द्वारा प्रमोट की जाने वाली इलेक्ट्रिक कार सर्विस ब्लूस्मार्ट ने अपने ऑपरेशन बंद करना शुरू कर दिया। सेबी के अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कंपनी और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन की जांच कर रहा है।

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क्या-क्या होगी जांच

कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय इस बात की जांच करेगा कि क्या कंपनी के फंड का इस्तेमाल प्रमोटर्स के निजी खर्चों (जैसे महंगे घर खरीदने, रिश्तेदारों को पैसे ट्रांसफर करने या प्रमोटर्स की निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने) के लिए किया गया।

जेनसोल पर क्या हैं आरोप

मुख्य आरोप यह है कि जेनसोल ने IREDA और PFC से लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल किया। कंपनी ने 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए 663.89 करोड़ रुपये लिए, लेकिन सेबी को दिए जवाब में जेनसोल ने स्वीकार किया कि उसने अब तक सिर्फ 4,704 वाहन ही खरीदे हैं।

वाहन सप्लायर गो-ऑटो ने भी 4,704 वाहनों की डिलीवरी की पुष्टि की है, जिनकी कीमत 567.73 करोड़ रुपये है। लोन के नियमों के मुताबिक, जेनसोल को 20% अतिरिक्त इक्विटी भी लगानी थी, जिससे कुल खर्च 829.86 करोड़ रुपये होना चाहिए था। इस हिसाब से, लगभग 262 करोड़ रुपये का फंड अभी भी 'गायब' है।

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