सिर्फ ₹197 करोड़ का था पहला आम बजट, अब ₹47 लाख करोड़ के पार
- Interesting facts of Indian Budget: क्या आपको पता है कि आजादी के बाद वित्त वर्ष 1947-48 का भारत का बजट कितना था? सबसे पहले बजट किसने पेश किया था या रेलवे बजट कब आम बजट में मिल गया?
Interesting facts of Indian Budget: क्या आपको पता है कि आजादी के बाद वित्त वर्ष 1947-48 का भारत का बजट कितना था? आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उस समय पूरे देश का बजट आज के एक जिले के बजट से कम या लगभग बराबर था। वित्त वर्ष 1947-48 में 197.1 करोड़ रुपये से बढ़कर भारत का आम बजट पिछले वित्त वर्ष में 47.65 लाख करोड़ रुपये हो गया। यानी इस अवधि में कुल 24़187.81 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक बजट पेश करने का समय भी पिछले कुछ सालों में बदला है। पहले समय शाम 5 बजे बजट पेश किया जाता था। इसे तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में बदलकर सुबह 11 बजे का कर दिया, जो अब तक जारी है। स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को 197.1 करोड़ रुपये की मामूली राशि के साथ पेश किया था।
जब प्रधानमंत्री ने पेश किया बजट
लोकसभा सचिवालय के डेटा से पता चलता है कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जब वित्त मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया। लोकसभा के एक डॉक्यूमेंट में पीएम नेहरू द्वारा बजट पेश करने का जिक्र है। दस्तावेजों में कहा गया है, "भारत के पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए और अस्थायी रूप से वित्त विभाग संभाल रहे थे। ऐसे में उन्होंने वित्तीय वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया था।"
इंदिरा गांधी भी पेश कर चुकी हैं बजट
वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए वित्तीय वर्ष 1969-70 का बजट पेश किया था। डॉक्यूमेंट्स में कहा गया है कि 2019 में, "तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य के कारण, उस वर्ष का बजट उनके सहयोगी मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था।"
23 जुलाई 2024 यानी मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देसाई के छह बजट के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सबसे अधिक 7 बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाएंगी। रेलवे एकमात्र ऐसा मंत्रालय था, जिसका अपना अलग बजट था। लेकिन, इसे 2017 में आम बजट में मिला दिया गया था।
राज्यसभा के पास बजट को बदलने या रिजेक्ट करने का अधिकार नहीं
लोकसभा में बजट पेश किए जाने के बाद वित्त मंत्री बजट लेटर को राज्यसभा में भी पेश करते हैं। जबकि, उच्च सदन के पास बजट को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, राज्यसभा के पास बजट को बदलने या अस्वीकार करने का अधिकार नहीं है। उच्च सदन में बजट पर बहस के बाद, सदन बजट को लोकसभा को भेजता है। बजट चर्चा के बाद मंत्रालय विशिष्ट आवंटन या अनुदान की मांग पर बहस होती है। अनुदान की मांग पर चर्चा के अंत मेंऐसी सभी मांगों को एक साथ लिया जाता है और गिलोटिन नामक प्रक्रिया के माध्यम से पारित किया जाता है।
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