पुरानी और नई कर व्यवस्था में क्या है अंतर? जानें इनकम टैक्स स्लैब से लेकर छूट तक की डिटेल
- Old Vs New Tax Regime Income Tax Slabs 2024-25: टैक्सपेयर्स के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था में क्या अंतर है? टैक्स स्लैब क्या है और कितना फायदा है? आइए सीए अजय बगड़िया, सीए संतोष मिश्रा और अभिनंदन पांडेय से इसकी बारिकियां समझें..
New Tax Regime Vs Old Tax Regime: 1 अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में टैक्सपेयर्स के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था में क्या अंतर है? टैक्स स्लैब क्या है और कितना फायदा है? आइए सीए अजय बगड़िया, सीए संतोष मिश्रा और अभिनंदन पांडेय से इसकी बारिकियां समझें..
सीए संतोष मिश्रा ने बताया कि प्रभावी वित्त वर्ष 2023-24 से नई कर व्यवस्था (New Income Tax Regime) डिफॉल्ट आयकर व्यवस्था बन गई है। इसलिए यदि आप पुरानी कर व्यवस्था (Old Income Tax Regime) को चुनना चाहते हैं, तो आपको वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपने नियोक्ता को बताना होगा ताकि आपके आयकर की गणना उसके अनुसार की जा सके। हम वित्त वर्ष 2024-25 (एसेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स स्लैब पर एक नजर डालते हैं।
पुरानी कर व्यवस्था में एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए टैक्स स्लैब की बात करें तो 250000 रुपये तक की आय के लिए कोई टैक्स नहीं है। अगर आपकी इनकम 500000 से कम है तो भी टैक्स शून्य है, लेकिन जैसे ही इस लिमिट को क्रॉस करते हैं टैक्स की गणना 250001 रुपये से होगी। यानी 250001 से 500000 तक की इनकम पर आपको 5 पर्सेंट टैक्स देने होंगे।
500001 से 1000000 रुपये तक 20 और दस लाख से ऊपर की इनकम पर 30 पर्सेंट टैक्स बनेगा। आयकर स्लैब 2024-25 पुरानी कर व्यवस्था के तहत 500,000 रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्तिगत करदाता 12,500 रुपये या वास्तविक देय कर, जो भी कम हो, की कर छूट के लिए पात्र होंगे। यह भी जानना जरूरी है कि 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक के लिए मूल छूट सीमा 3 लाख रुपये है, जबकि 80 और उससे अधिक आयु के अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेसिक एक्जम्पशन लिमिट 5 लाख रुपये है।
नई कर व्यवस्था के लिए इनकम टैक्स स्लैब
तीन लाख तक के इनकम के लिए कोई टैक्स नहीं। तीन लाख से ऊपर और 6 लाख से कम की इनकम के लिए 5 प्रतिशत टैक्स निर्धारित है। 6 लाख से अधिक और नौ लाख तक के लिए 10 प्रतिशत और नौ से अधिक व 12 लाख तक की इनकम के लिए 15 फीसद टैक्स निर्धारित है। 12 लाख से ऊपर और 15 लाख से कम के लिए 20 फीसद टैक्स है। 15 लाख से अधिक की इनकम वालों के लिए टैक्स 30 पर्सेंट है।
सीए अजय बगड़िया ने बताया कि नई कर व्यवस्था में रिबेट पात्रता सीमा 7,00,000 रुपये निर्धारित की गई है। इससे करदाताओं को 25,000 रुपये तक की छूट का दावा करने की अनुमति मिलती है। इसके अलावा, 7,00,000 रुपये से अधिक की नेट टैक्सेबल इनकम वाले लोगों के लिए मार्जिनल राहत उपलब्ध है, जहां वृद्धिशील आयकर देयता 7,00,000 रुपये से अधिक की वृद्धिशील आय से अधिक है।
नई बनाम पुरानी व्यवस्था
इसके बारे में बताते हुए सीए अभिनंदन पांडेय कहते हैं कि पुरानी और नई आयकर व्यवस्था के बीच बुनियादी अंतर यह है कि पुरानी व्यवस्था में धारा 80सी, धारा 80डी, धारा 80टीटीए आदि जैसी प्रमुख छूट और कटौतियों की अनुमति देती है। जबकि, नई कर व्यवस्था में ये सब नहीं है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 मानक कटौती
बगड़िया कहते हें कि वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए मानक कटौती अपरिवर्तित बनी हुई है। पुरानी और नई आयकर व्यवस्था दोनों के लिए यह 50,000 रुपये पर रहेगा। मानक कटौती के अलावा, नई आयकर व्यवस्था एक और कटौती प्रदान करती ह , जो एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान के लिए धारा 80सीसीडी (2) के तहत है।
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