अगर बचत कम है तो कौन सा टैक्स रिजीम चुनें, ओल्ड या न्यू
- Tax Advice: ओल्ड टैक्स रिजीम तभी फायदेमेंद होगी, जब टैक्सपेयर लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो।

Tax Advice: नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ टैक्सपेयर्स को नई और ओल्ड टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने की जरूरत होगी। ऐसे में न्यू टैक्स रिजीम में छूट सीमा बढ़ने के साथ यह जानना जरूरी है कि टैक्स की कौन सी प्रणाली उनके लिए बेहतर है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि 12 लाख रुपये (सैलरीड पर्सन के लिए 12.75 लाख रुपये) तक की सालाना आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए न्यू टैक्स रिजीम उपयुक्त है, लेकिन इससे अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए कौन सी प्रणाली बेहतर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि टैक्सपेयर टैक्स देनदारी को कम करने के लिए बचत और निवेश की कोई योजना बना रहा है या नहीं।
15 लाख की इनकम तक ही फायदा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओल्ड टैक्स रिजीम तभी फायदेमेंद होगी, जब टैक्सपेयर लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो। हालांकि, यदि कुल सालाना आय लगभग 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, तभी लगभग 5.5 लाख की कटौती का लाभ होगा। इससे अधिक सालाना आय के लिए न्यू टैक्स रिजीम उपयुक्त होगी। ओल्ड टैक्स रिजीम में विभिन्न आयकर धाराओं में 5.5 लाख रुपये तक कर कटौती का लाभ लिया जा सकता है।
कम बचत होने पर नई व्यवस्था अच्छा विकल्प
टैक्स एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर टैक्सपेयर के पास कोई कर योजना या योग्य कटौती नहीं है, तो आमतौर पर नई व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये (सैलरीडी टैक्सपेयर्स के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ अब 12.75 लाख रुपये) तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से आयकर से मुक्त कर दिया है। आयकर छूट न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वाले टैक्स पेयर्स को मिलेगी।
5.5 लाख की कटौती के साथ टैक्स कैलकुलेशन
आय पुरानी व्यवस्था नई व्यवस्था
11 लाख 23,400 00
12 लाख 44,200 00
13 लाख 54,600 66,300
14 लाख 75,400 81,900
15 लाख 96,200 97,500
(गणना में मानक कटौती और एनपीएस के तहत मिलने वाली छूट को भी शामिल किया गया है)
मानक कटौती के बिना कर गणना
आय पुरानी व्यवस्था नई व्यवस्था
13 लाख 65,000 78,000
14 लाख 85,800 93,600
15 लाख 1,06,600 1,09,200
ओल्ड टैक्स रिजीम में कितनी छूट
धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये
धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज के लिए 02 लाख रुपये
धारा 80डी (हेल्थ इंश्योरेंस) 02 लाख रुपये
80 जी (पात्र संस्थानों को चंदा)
80 ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज) आदि जैसी अन्य कटौतियांॉ
टैक्स रिजीम चुनने के नियम
वर्तमान में टैक्सपेयर नई या पुरानी में से कोई भी टैक्स रिजीम चुन सकते हैं। प्रत्येक व्यवस्था के अपने फायदे और बंदिशें हैं। टैक्सपेयर्स अपनी स्थिति के अनुसार किसी एक का चयन कर सकते हैं।
पुरानी व्यवस्था
- सैलरीड इनकम वाले टैक्सपेयर्स हर साल नई और पुरानी व्यवस्था के बीच बीच बदलाव कर सकते हैं। हालांकि, पुरानी व्यवस्था को अपनाने का फैसला ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि से पहले करना होगा।
- व्यापारी या बिजनेस से आय वाले टैक्सपेयर साल-दर-साल व्यवस्था नहीं बदल सकते। एक बार न्यू टैक्स रिजीम से बाहर निकलने पर वे केवल एक बार ही इसमें वापस आ सकते हैं। लेकिन एक बार न्यू टैक्स रिजीम में लौटने के बाद, वे दोबारा पुरानी व्यवस्था में नहीं जा सकते।
- ओल्ड टैक्स रिजीम में सभी कर कटौतियां और छूट जारी रहेंगे। टैक्सपेयर अपनी सुविधा के अनुसार इनका लाभ ले सकता है।
- इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, ईएलएसएस म्यूचुअल फंड, होम लोन के ब्याज पर छूट, शिक्षा ऋण के ब्याज पर छूट, बीमा प्रीमियम पर कर छूट, एचआरए छूट और दान देने पर कर छूट का लाभ लिया जा सकता है।
न्यू टैक्स रिजीम
- वित्त वर्ष 2024-25 से न्यू टैक्स रिजीम को डिफाल्ट बनाया दिया गया है। यानी कोई टैक्सपेयर वित्त वर्ष की शुरुआत में टैक्स रिजीम का चुनाव नहीं करता है तो वह स्वत: ही न्यू टैक्स रिजीम में चला जाएगा। उसी के आधार पर टैक्स की गणना होगी।
- अगर किसी की आय व्यवसाय या पेशे से है और वह नई व्यवस्था से बाहर निकल कर ओल्ड टैक्स रिजीम में जाना चाहता है तो उसे फॉर्म 10-आईईए भरना होगा। यह फॉर्म आईटीआर दाखिल करने की नियत तारीख से पहले जमा करना अनिवार्य है।
- न्यू टैक्स रिजीम में अधिकांश कर छूट और कटौतियां खत्म कर दी हैं। यहां केवल 75,000 रुपये की मानक कटौती का लाभ मिलेगा। इसके अलावा एनपीएस में योगदान पर भी कटौती का लाभ उठाया जा सकता है।
न्यू टैक्स रिजीम में मिलेगा रिबेट का फायदा
पहले न्यू टैक्स रिजीम पुराने स्लैब के तहत 12.75 लाख रुपये तक की आय पर 80,000 रुपये कर लगता था, लेकिन बजट में घोषित नए स्लैब में यह घटकर 60 हजार हो जाएगा। इसी के साथ सरकार ने आयकर पर मिलने वाली विशेष कर छूट (रिबेट) को 25 हजार से बढ़ाकर 60 हजार कर दिया है।
इससे वे टैक्सपेयर्स, जिनकी सालाना आय 12 लाख तक है, वे इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे क्योंकि उनकी देनदारी शून्य हो जाएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार ने यह राहत केवल धारा-87ए के तहत मिलने वाली रिबेट में बदलाव करके दी है, मूल कर ढांचे के जरिए नहीं।
सिर्फ इन मामलों में मिलेगी रिबेट
1. अगर पूरी इनकम सैलरी, पेंशन, ब्याज, किराए, या व्यवसाय से आती है और कोई विशेष श्रेणी की आय शामिल नहीं है।
2. कुल इनकम 12 लाख रुपये से कम या बराबर है और टैक्सपेयर न्यू टैक्स रिजीम को चुनता है। ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने पर लाभ नहीं मिलेगा।