वक्फ बिल के समर्थन से जेडीयू को नहीं होगा नुकसान? मुसलमानों को नीतीश के काम पर भरोसा, बोले- संजय झा
वक्फ संशोधन बिल को जेडीयू के समर्थन देने के बाद पार्टी से कई मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या जदयू को नुकसान होगा। वहीं जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि मुसलमानों को नीतीश कुमार के काम पर भरोसा है। उन्होने 17% अल्पसंख्यक आबादी के लिए काम किया है।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का पारित होना और जेडीयू का इसका समर्थन करना न केवल भाजपा की ओर से एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। बल्कि जदयू की ओर से भी ऐसा ही है, जो अब तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का धर्मनिरपेक्ष चेहरा बना हुआ है। हालांकि जदयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के कुछ नेताओं ने वक्फ बिल के समर्थन के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। वहीं आरजेडी ने पोस्टर के जरिए नीतीश कुमार पर हमला करने की कोशिश की है। जिसमें उन्हें 'आरएसएस समर्थित सीएम' के रूप में दिखाया गया है। वहीं इस मामल पर जदयू के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जेडीयू नेता अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं हैं और उन्हें विश्वास है कि मुस्लिम समुदाय नीतीश कुमार का मूल्यांकन इस आधार पर करेगा, कि उन्होंने उनके लिए क्या किया है, न कि विपक्ष उन्हें क्या विश्वास दिलाना चाहता है।
यह सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए ही नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए भी खुद आकलन करने का मौका है, कि पिछले कुछ सालों में उनके लिए किसने क्या किया है। चाहे वो कांग्रेस हो, आरजेडी हो या नीतीश कुमार की अगुआई वाली एनडीए हो। वक्फ के लाभार्थी कुछ ही थे, लेकिन अब इसका लाभ सही मायनों में गरीब मुसलमानों को मिलेगा, जो इतने सालों में कभी नहीं हुआ। बिहार में नीतीश कुमार ने उनके लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन उन्होंने राजनीति के लिए कभी कुछ नहीं किया। कई लोग अक्सर उनसे कहते थे कि वे मुसलमानों की पहली पसंद नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने उनके लिए ऐसा किया जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। जिस दिन उनकी 'इफ्तार पार्टी' का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया, जिसका ज्यादा असर नहीं हुआ। जिससे साफ हो गया था कि राजनीति जारी है।
जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा ने कहा कि अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान ज्यादातर समय भाजपा के साथ रहने के बावजूद, नीतीश कुमार ने हमेशा पिछड़े मुसलमानों के कल्याण के लिए काम किया है। जो उनके सशक्तिकरण और मुख्यधारा में लाने के लिए उनके द्वारा उठाए गए ठोस कदमों में झलकता है। बिहार में जातिगत सर्वेक्षण, जिसे सार्वजनिक भी किया गया, जिसमें पसमांदा मुसलमानों के पिछड़ेपन और गरीबी को रेखांकित किया गया। जो राज्य में अल्पसंख्यक आबादी का 73% हिस्सा हैं। गरीबों के कल्याण के लिए कार्यक्रमों में उन्हें शामिल किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में, पिछले महीने ही उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति की गई थी। तालीमी मरकज पिछड़े मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने और शिक्षा को प्रोत्साहित करने का एक अच्छा कदम है, उनके मानदेय में भी नियमित रूप से इजाफा किया जाता है। पसमांदा मुसलमानों को पता है कि उन्हें पंचायती राज निकायों में उनके प्रतिनिधित्व के माध्यम से मान्यता मिली है।
जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार में मुसलमानों की आबादी 17.7% है। इनमें से सबसे पिछड़े पसमांदा मुसलमान बहुसंख्यक हैं। जातिगत सर्वेक्षण में दो दर्जन से ज़्यादा मुस्लिम जातियों की पहचान की गई है, जिन्हें नीतीश सरकार ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में शामिल किया है, ताकि उन्हें भी हिंदू समकक्षों की तरह छात्रवृत्ति और पंचायतों में आरक्षण जैसे सरकारी लाभ मिल सकें। इसे अल्पसंख्यकों को भाजपा से दूर रखने के बावजूद अपने पक्ष में करने का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार ने शुरू से ही मुसलमानों के कल्याण के लिए सही मायनों में काम किया है और यह उनकी पीढ़ी-बदलने वाली पहलों से झलकता है, जिसकी सराहना भी की जाती है।
जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि 2007 में ही उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें और मैट्रिक में प्रथम श्रेणी लाने वाले प्रत्येक छात्र को 10,000 रुपये प्रदान किए। उन्होंने 1989 के भागलपुर दंगों से प्रभावित परिवारों को मुआवजा और पेंशन प्रदान की। उन्होंने भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की पहली वर्षगांठ 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। अल्पसंख्यकों के वेलफेयर के काम की लिस्ट लंबी है। झा ने कहा कि मुस्लिम नेताओं की जो भी चिंताएं थीं, उन्होंने सीएम के साथ इस पर चर्चा की और उनका समाधान किया गया। वक्फ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव भी जदयू का ही था। अब उन्हें चिंतित होने की कोई बात नहीं है। संशोधन केवल पसमांदा मुसलमानों को व्यापक प्रतिनिधित्व देंगे और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए उनके द्वारा वक्फ संपत्ति का अधिकतम उपयोग करेंगे।
वहीं जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जेडीयू को विपक्ष से धर्मनिरपेक्षता का प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है। किसी ने पसमांदा मुसलमानों की चिंता नहीं की, जो सबसे पिछड़े हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने उनके लिए तब काम किया, जब किसी ने उनके बारे में सोचा तक नहीं था। यही नीतीश कुमार की राजनीति है, जो विकास के साथ कल्याण को मिलाकर अल्पसंख्यकों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए है, न कि सिर्फ वोट के लिए। कुमार ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अच्छी तरह पता है कि नीतीश कुमार ने उनके लिए किस तरह का काम किया है। वक्फ बिल पारित होने से पहले ही उन्होंने वक्फ संपत्ति के विकास के लिए पहल की थी। निर्विवाद वक्फ भूमि पर शादी और अन्य उद्देश्यों के लिए बहुउद्देश्यीय हॉल बनाने का प्रस्ताव था। उन्हें मुसलमानों सहित हर समुदाय में पिछड़ेपन की चिंता है और वे इसके लिए काम कर रहे हैं, बिना इस बात की परवाह किए कि उन्हें किसने वोट दिया है या नहीं। वो जेपी के सच्चे अनुयायी हैं।