ईडब्लूएस को आधे पदों के अंदर ही आरक्षण क्यों नहीं मिल रहा? हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार से मांगा जवाब
पटना हाई कोर्ट में दायर याचिका में उस नियम को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसमें 50 फीसदी अनारक्षित पदों के बजाय कुल पदों से ईडब्लूएस को 10 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है।
पटना हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्लूएस) के आरक्षण के मुद्दे पर बिहार की नीतीश सरकार को जवाब-तलब किया है। अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और बिहार तकनीकी सेवा आयोग से चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि विभिन्न भर्तियों में 50 फीसदी अनारिक्षत पदों के अंदर ही ईडब्लूएस को आरक्षण देने का प्रावधान है। मगर अगड़ी जाति के गरीब उम्मीदवारों को कुल पदों के अंदर से 10 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है।
पटना हाई कोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस नानी तांगी की खंडपीठ ने राज्य सरकार और बिहार तकनीकी सेवा आयोग को जवाब तलब किया। यह याचिका अजय कुमार लाल एवं अन्य लोगों द्वारा दायर की गई। हाई कोर्ट में आवेदकों की ओर से वरिष्ठ वकील डीके सिन्हा और राकेश कुमार शर्मा ने सरकार के नियम 4 को चुनौती दी।
उन्होंने कहा कि जब 50 फीसदी अनारक्षित पदों में से ही ईडब्लूएस को आरक्षण देने की व्यवस्था है, ऐसे में राज्य सरकार ने कुल पदों में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को आरक्षण क्यों दिया। कुल पदों में एससी, एसटी, ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग का 50 फीसदी जातिगत आरक्षण भी शामिल है। याचिका में सरकार के इस नियम को निरस्त करने की मांग की गई। सरकार का जवाब आने के बाद इस मामले पर फिर से सुनवाई की जाएगी।