लड़कों से डरना क्या, उन्हीं की भाषा में समझाना है; लफंगों सावाधान! जवाब देने को तैयार हैं बेटियां
- महिला कॉलेज की 66 फीसदी छात्राएं अब छेड़खानी से नहीं डरती। ना तो सहमी रहती हैं और ना ही छेड़ने वाले लड़के को देख कर भागती हैं। पूरे आत्मविश्वास के साथ डट कर छेड़खानी करनेवाले का बदमाश का सामना करती हैं। हाल ही में कॉलेज की छात्राओं पर किये गये सर्वे में यह निकल कर आया है।
महिला कॉलेज की 66 फीसदी छात्राएं अब छेड़खानी से नहीं डरती। ना तो सहमी रहती हैं और ना ही छेड़ने वाले लड़के को देख कर भागती हैं। पूरे आत्मविश्वास के साथ डट कर छेड़खानी करनेवाले का बदमाश का सामना करती हैं। लफंगों को पलटकर जवाब भी देती हैं। हाल ही में कॉलेज की छात्राओं पर किये गये सर्वे में यह निकल कर आया है। महिला एवं बाल विकास निगम और कॉलेज प्रशासन ने संयुक्त रूप से यह सर्वे कराया गया है। इसमें पटना समेत राज्य के 245 कॉलेजों की दो लाख 78 हजार छात्राओं को शामिल किया गया था। छात्राओं को एक प्रश्नोत्तरी दिया गया था। इसमें लगभग 25 सवाल थे। इसमें एक लाख 75 हजार छात्राओं ने कहा कि वो अब छेड़खानी से डरती नहीं है, बल्कि उसका मुकाबला करती हैं।
बता दें कि यह सर्वे अक्टूबर से नवंबर 2024 के बीच यानी 60 दिनों तक किया गया था। छात्राओं के लिए प्रश्नोत्तरी महिला एवं बाल विकास निगम और कॉलेज प्रशासन ने मिल कर तैयार किया था। सर्वे में 73 फीसदी छात्राओं ने कहा कि उनके साथ अक्सर छेड़खानी होती थी। अभी भी सड़क पर निकलने के साथ ही लड़के भद्दे टिप्पणी करते हैं। छात्राओं ने स्वीकार किया है कि पहले हम छेड़खानी होने पर डरते थे। इससे लड़के अधिक परेशान करते थे। कई बार तो लड़कों को पूरा ग्रुप होता था, लेकिन जब हम खुद आवाज उठाने लगे। उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने लगे हैं तो इसमें कमी आई है।
कॉलेज के बाहर अक्सर होती है छेड़खानी
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज के बाहर अक्सर छात्राओं के साथ छेड़खानी की शिकायत होती है। अभी भी कॉलेज के बाहर जैसे ही छात्राएं निकलती हैं, लड़के उनके ऊपर अभद्र शब्द का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि छात्राएं 112 और 181 टोल फ्री नंबर का खूब इस्तेमाल करती हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
छात्राओं को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका फायदा है कि छात्राएं अब सड़क पर किसी तरह की छेड़खानी का सामना करने को खुद को तैयार रखती है। छात्राओं को सेल्फ मोटिवेशन की जरूरत है। इसके लिए कॉलेज प्रशासन नियमित तैयार रहता है। -नमिता कुमारी, प्राचार्य, मगध महिला कॉलेज
छात्राओं को नियमित आत्मविश्वास बनाने की सीख दी जाती है। किसी तरह की छेड़खानी का सामना कैसे करें, इसके लिए नियमित रूप से बताया भी जाता है। इसका असर है कि अब छात्राएं डरती नहीं, बल्कि मुकाबला करती है। - डॉ. साधना ठाकुर, प्राचार्य, अरविंद महिला कॉलेज
कुछ प्रश्न जिसका छात्राओं ने ये जवाब दिये
प्रश्न - क्या आपके साथ कभी छेड़खानी हुई है। हुई है तो क्या किया?
उत्तर - हां कई बार एक साथ कई लड़के मिलकर परेशान किया हैं। पहले तो मैं डरती थी, लेकिन अब जवाब देती हूं। कई बार कई लड़कों को जोरदार थप्पड़ भी लगा चुकी हूं।
प्रश्न - आपके साथ छेड़खानी हुआ तो पुलिस स्टेशन में शिकायत की?
उत्तर - नहीं मैं कभी पुलिस स्टेशन शिकायत करने नहीं गई। बल्कि खुद लड़कों को परेशान कर दी। मैंने उस लड़के के परिवार से जाकर शिकायत की और कहा कि अगर आगे से मुझे छेड़ेगा तो इसकी हड्डी तोड़ दूंगी।
प्रश्न - क्या आपके अपने कॉलेज के लड़के भी छेड़ते हैं? फिर क्या किया?
उत्तर - कई बार कॉलेज के लड़कों ने परेशान किया। पहले तो प्राचार्य से शिकायत की। नहीं माना तो एक दिन भरपूर पिटाई की। मैंने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लिया है।
सर्वे में ये कुछ खास जवाब
● लड़कों से डरना क्या, उन्हें उन्हीं की भाषा में समझाती हूं।
● 67 फीसदी छात्राओं ने कहा, डरूंगी तो लड़के और परेशान करेंगे, इसलिए मुकाबला करती हूं।
● 60 फीसदी छात्राओं ने कहा कि सड़क पर ऐसे चलती हूं कि लड़कों की छेड़ने की हिम्मत नहीं होती है।
● 70 फीसदी छात्राओं ने बताया कि लड़के अभद्र टिप्पणी करते है, थप्पड़ लगा कर जवाब देती हूं।
● 75 फीसदी छात्राओं ने आत्मविश्वास को अपना हथियार बताया।
कहा कि चेहरे पर आत्मविश्वास होने से लड़के छेड़ने से डरते हैं।