13 घंटे काम करवाते हैं, क्रेन से शव निकाले; पटना मेट्रो के टनल में मौत के बाद मजदूरों ने खोली पोल
मजदूरों ने कहा कि मिट्टी निकालने वाली मशीन लोको से जैसे ही चालक मिट्टी लेकर बाहर निकला तो अधिकारियों ने बिना खाली कराएं सेगमेंट ले जाने वाले भाग पर पंप रखकर अंदर भेज दिया। इस कारण ब्रेक फेल हो गया और वह टीबीएम में टकरा गया।
पटना मेट्रो के निर्माण के दौरान हुआ गंभीर हादसे के बाद अब यहां काम करने वाले मजदूरों ने संगीन आरोप लगाए हैं। पटना विश्वविद्यालय से गांधी मैदान के बीच टनल खुदाई का काम तेजी से पूरा करने के चक्कर में हादसा हुआ जिसमें दो मजदूरों की जान गई। यह आरोप निर्माण में जुटे श्रमिक लगा रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि टनल के अंदर सोडियम पंप खराब हो गया था। मिट्टी निकालने वाली मशीन लोको से जैसे ही चालक मिट्टी लेकर बाहर निकला तो अधिकारियों ने बिना खाली कराएं सेगमेंट ले जाने वाले भाग पर पंप रखकर अंदर भेज दिया। इस कारण ब्रेक फेल हो गया और वह टीबीएम में टकरा गया। इसमें दो मजदूरों की मौत हो गई, जबकि छह जख्मी हो गए। एक की हालत गंभीर है। हालांकि, मेट्रो के अधिकारियों ने बताया कि जांच के बाद ही सही वजह का पता चलेगा। आक्रोशित मजदूरों ने मंगलवार को पटना विवि, गांधी मैदान, पीएमसीएच और मोइनुल हक स्टेडियम के मेट्रो निर्माण कार्य को ठप कर दिया।
हालांकि, जिला और पुलिस प्रशासन ने उन्हें शांत कराया। मजदूरों ने बताया कि घटना के बाद अधिकारियों ने टनल में जाने वाली लोहे की सीढ़ी को हटा लिया ताकि मजदूर या बाहरी लोग अंदर नहीं जा सके। क्रेन से शव और घायलों को निकाला गया इससे मजदूर बेहद नाराज हैं। बता दें कि टनल हादसे में सोमवार की रात लोको आपरेटर बिजय कुमार बेहरा (36) और हेल्पर मनोज बेहरा (27) की मौत हो गई थी। दोनों मूल रूप से ओडिशा के नयागढ़ जिला के रहने वाले थे। जमुई के सिंकदरा निवासी घायल ग्राउटर श्याम राम आईसीयू में भर्ती है।
मजदूरों से 12-13 घंटे काम कराने का आरोप
मजदूरों ने आरोप लगाया कि अधिकारी उनसे 12 से 13 घंटे काम करवाते हैं। अगर कोई मजदूर काम करने से इनकार करता है तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। इसी कारण मजबूरन हम देर तक काम करते हैं। मजदूरों ने निर्माण एजेंसी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कई चुनौतियों का सामना कर टनल की खुदाई करते हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जाता है। फर्स्ट एड तक का भी इंतजाम नहीं था।
ओडिशा निवासी लोको चालक अजय कुमार ने बताया कि सोमवार को पहले शिफ्ट का काम खत्म करने के बाद संबंधित अधिकारियों से लोको का ब्रेक कमजोर होने की शिकायत की गई थी। इसके बावजूद रात में लोड गाड़ी को टनल के अंदर भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि लोड गाड़ी ढलान में जाएगी तो उसकी रफ्तार काफी ज्यादा होगी। इसी वजह से हादसा हुआ। ओडिशा निवासी दीपक नायक ने बताया कि लोको चालक और हेल्पर की मौके पर मौत हो गई। जबकि रिंग के बीच में कंक्रीट डालने वाले मजदूर की स्थिति नाजुक है। मजदूरों की मांग है कि प्रत्येक मृतक के परिजनों को 40 से 50 लाख का मुआवजा मिले।