बिहार में जाति और धर्म से ज्यादा पार्टी के लिए वोटिंग, निर्वचान विभाग के KAP-2024 सर्वे की रिपोर्ट
- नाव के दौरान मात्र 4.2 प्रतिशत मतदाताओं ने जाति के आधार पर मतदान करने की बात कही। वहीं, धर्म को प्राथमिकता 1.1 प्रतिशत मतदाताओं ने दी। जबकि, राजनीति दलों के समर्थक होने के नाते 32.2 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
बिहार में आम चुनाव के दौरान जाति और धर्म की सियासत पर दलीय आस्था भारी रही। राज्य में पिछले साल संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान मात्र 4.2 प्रतिशत मतदाताओं ने जाति के आधार पर मतदान करने की बात कही। वहीं, धर्म को प्राथमिकता 1.1 प्रतिशत मतदाताओं ने दी। जबकि, राजनीति दलों के समर्थक होने के नाते 32.2 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। वहीं, 33.9 प्रतिशत मतदाताओं ने उम्मीदवारों के व्यक्तिगत संपर्क (कैंपेन) के बाद ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
ये जानकारी लोकसभा चुनाव 2024 के बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा कराए गए नॉलेज एटीट्यूट एंड प्रैक्टिसेस इंडलाइन सर्वे (केएपी) 2024 रिपोर्ट में सामने आयी है। आम धारणा है कि बिहार में जातीय समीकरण चुनाव पर हावी रहता है। लेकिन इस रिपोर्ट में अगल तथ्य सामने आया है।
सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार, सर्वेक्षण के दौरान 41.4 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनके मतदान के निर्णय पर उनके परिवार की राय का प्रभाव पड़ता है। सर्वेक्षण में उच्च मतदान को प्रभावित करने वाले कारणों के बारे में सवाल किए जाने पर 32.8 प्रतिशत का कहना था कि अच्छे प्रत्याशी के कारण उन्होंने मतदान किया। जबकि, 22.4 प्रतिशत मतदाताओं ने धनबल को अधिक मतदान के लिए प्रमुख कारण बताया। वहीं, 20.6 प्रतिशत मतदाताओं का कहना था कि मतदान के महत्व के प्रति अधिक जागरूकता के चलते अधिक मतदान होता है।
26 फीसदी मतदाता ने कहा , पहचान पत्र नहीं था
सर्वेक्षण के दौरान मतदाताओं से पिछले चुनावों में मतदान नहीं करने को लेकर जब जानकारी मांगी गयी तो प्रवासी मतदाता इनमें सबसे बड़े कारण सामने आए। पिछले चुनावों में मतदान न करनेवाले 30.1 प्रतिशत मतदाताओं का कहना था कि वह मतदान के समय अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं थे। इसके अलावा 26.1 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनके पास मतदाता पहचान पत्र (इपिक) नहीं होने के मतदान नहीं किया। वहीं, 11.2 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं होने के कारण मतदान से वंचित होना पड़ा।
मालूम हो कि इंडलाइन सर्वेक्षण में 60 हजार प्रतिभागियों को शामिल किया गया। हरेक विधानसभा क्षेत्र के दो सर्वाधिक मतदान वाले बूथ और दो सबसे कम मतदान वाले बूथों के मतदाताओं को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया। प्रत्येक बूथ पर 60 प्रतिभागियों को सर्वेक्षण का हिस्सा बनाया गया। यह सर्वेक्षण पूरी तरह आंतरिक सर्वेक्षण था और इसमें निर्वाचन विभाग के पदाधिकारी ही शामिल किए गए थे।