घर बनाने के लिए टोपो लैंड का नक्शा भी पास होगा, पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला
पटना हाई कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि घर बनाने के लिए टोपो लैंड का नक्शा भी पास होगा। संविधान के तहत किसी को व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने के अपने मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
बिहार में घर बनाने के लिए अब टोपो लैंड जमीन का नक्शा भी पास हो जाएगा। पटना हाई कोर्ट ने छपरा नगर आयुक्त के प्रस्तावित भवन के निर्माण के लिए नक्शा स्वीकृत करने से इनकार करने के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि भवन बनाने के लिए दिए गए नक्शे को इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जा सकता कि जमीन टोपो लैंड है। हाई कोर्ट ने कहा कि नक्शा पारित करने के लिए ऐसे दस्तावेज मांगे जाने चाहिए, जिससे यह प्रदर्शित हो कि जमीन आवेदक की है और निर्माण किए जाने के लिए नियमों और उप-नियमों के अनुसार सही है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने छपरा नगर आयुक्त की ओर से दायर अर्जी को खारिज कर दी। कोर्ट ने एकलपीठ के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ कोर्ट को बताया कि छपरा का पूरा शहर टोपो जमीन (टोपो लैंड) पर स्थित है। उनका कहना था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के किसी भी नगर निगम को वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने से रोके जाने को लेकर ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि टोपो लैंड को सुधारने की प्रक्रिया चल रही हैं। छपरा शहर का टाउनशिप कम से कम 100 वर्षो से मौजूद है। आवेदक ने होल्डिंग संख्या 716 के 5586 वर्ग फीट जमीन पर आवासीय-सह-व्यावसायिक भवन के निर्माण के लिए नक्शा दिया था। लेकिन छपरा नगर निगम ने उसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत किसी को व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने के अपने मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
दरअसल, आजादी से पहले जिस जमीन का सर्वे नहीं हो पाया था, उसे टोपो लैंड कहा जाता है। नदियों के आसपास और बीच में स्थित असर्वेक्षित जमीन भी टोपो लैंड है। इन जमीनों का खाता और खेसरा नंबर नहीं है। इस कारण प्रशासन नक्शा पास करने में आनाकानी कर रहा था। छपरा के अलावा बिहार के कई शहरों में ऐसी जमीन मौजूद है।