बिहार के साढ़े तीन लाख गुरुजी को नये साल का इंतजार, नीतीश सरकार देगी यह सौगात
बिहार के विभिन्न स्कूलों में 18 सालों से सेवा दे रहे नियोजित शिक्षकों की बड़ी मांग नये साल में पूरी हो जाएगी। करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक 2025 में सरकारी कर्मी घोषित होंगे। पहले चरण में ही करीब एक लाख 80 हजार को यह दर्जा मिलने की उम्मीद है।
बिहार के विभिन्न स्कूलों में 18 सालों से सेवा दे रहे नियोजित शिक्षकों की बड़ी मांग नये साल में पूरी हो जाएगी। करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक 2025 में सरकारी कर्मी घोषित होंगे। पहले चरण में ही करीब एक लाख 80 हजार को यह दर्जा मिलने की उम्मीद है, जो एक से सात जनवरी 2025 तक विशिष्ट शिक्षक के रूप में अपने पदस्थापन वाले स्कूलों में ही योगदान देंगे। इसके साथ ही उन्हें सरकारी शिक्षक की सुविधाएं मिलने लगेंगी। बाद के चरणों में अन्य नियोजित शिक्षकों को यह दर्जा प्राप्त होगा। नये साल में करीब 80 हजार शिक्षक और 42 हजार प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक नियुक्त होंगे, जिसके लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया जारी है। शिक्षकों की नियुक्ति के लिहाज से वर्ष 2023 और 2024 भी उपलब्धि भरा रहा है। इन दोनों सालों में क्रमश एक लाख और 75 हजार शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से हुई है।
राज्य में एक तरफ बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई तो दूसरी ओर शिक्षकों की स्कूलों में पूरी अवधि तक उपस्थिति को लेकर भी नयी पहल हुई। पहली बार राज्य में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी जून, 2024 से बननी शुरू हुई है। शिक्षक अपने मोबाइल से स्कूल में आने और फिर जाने के समय आनलाइन ई-शिक्षा कोष पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। मकसद यही है कि शिक्षक पूरे समय तक स्कूल में रहें और बच्चों की पढ़ाई बेहतर हो। इसके साथ ही अपने पसंद के क्षेत्र में स्थानांतरण का मौका भी नियोजित शिक्षकों को पहली बार मिलने जा रहा है। हालांकि, इसमें वे शिक्षक भी शामिल हैं जो बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से बहाल हुए हैं पर नियोजित शिक्षकों की यह मांग वर्षों पुरानी है।
कई बार इसको लेकर शिक्षा विभाग की ओर से पहल हुई, पर यह अपने अंजाम तक नहीं पहुंचा। अब विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा है कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में तबादला कर दिया जाएगा।
राजभवन और विभाग में चला तकरार
वर्ष 2024 में राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चली तकरार की खबरें भी सुर्खियां बटोरी। आलम यह हो गया कि शिक्षा विभाग की ओर से बुलायी गयी बैठक में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने शामिल होना ही छोड़ दिया। यहां तक की राजभवन (कुलाधिपति सचिवालय) से आदेश जारी हुआ कि शिक्षा विभाग की बैठक में कुलपति भाग नहीं लेंगे। विभाग की ओर से मार्च, 2024 में विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसी क्रम में सभी कुलपतियों-कुलसचिवों का वेतन भुगतान भी रोक दिया गया। हालांकि, राजभवन और विभाग के बीच चल रही तनातनी कुछ माह बाद थम गई।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अब भी चुनौती
शिक्षा विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि, शिक्षकों की बड़ी संख्या में हुई नियुक्ति और विभाग की ओर से चलाये जा रहे निरीक्षण से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है। साथ ही पठन-पाठन में सुधार आया है, पर अब भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है। क्योंकि, अब भी रिपोर्ट आती है कि पांचवीं के कई बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं। जोड़-घटाव भी ठीक से प्राथमिक कक्षा के बच्चे नहीं कर पाते हैं। इसको लेकर ही विभाग ने दस दिसंबर, 2025 को आदेश में कक्षा एक से आठ के बच्चों के लिए स्कूल में प्रतिदिन एक घंटे बोलकर पाठ पढ़ने का अभ्यास को अनिवार्य किया है। इसी तरह से हर दिन बेसिक गणित एवं गणित के प्रश्नों को त्वरित गति से हल करना अनिवार्य रूप से सिखाया जाएगा।