'मामा-साला' टैक्स से बिहार को त्रस्त रखा, वो लोग... तेजस्वी के DK टैक्स पर जेडीयू का पलटवार
तेजस्वी यादव के डीके टैक्स वाले बयान पर पलटवार करते हुए मंत्री अशोक चौधरी ने लालू-राबड़ी शासन काल की याद दिलाते हुए कहा कि तब बिहार में अलग अलग टैक्स लगते थे। रंगदारी टैक्स, अपहरण जैसे अपराध के साथ ही मामा टैक्स और साला टैक्स भी लगता था।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बिहार में डीके टैक्स वसूलने के आरोपों पर नीतीश कुमार की जेडीयू ने पलटवार किया है। बिहार सरकार में मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने कहा कि जिन लोगों ने बिहार को मामा टैक्स और साला टैक्स से त्रस्त रखा वो लोग आज दूसरों पर आरोप लगाने का काम कर रहे हैं। वही जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने भी हमला बोला।
अशोक चौधरी ने लालू-राबड़ी शासन काल की याद दिलाते हुए कहा कि तब बिहार में अलग अलग टैक्स लगते थे। रंगदारी टैक्स, अपहरण जैसे अपराध के साथ ही मामा टैक्स और साला टैक्स भी लगता था। उनका इशारा लालू यादव के साले सुभाष यादव और साधु यादव पर था। उन्होने कहा कि नीतीश के साथ अनुभवी अधिकारियों का दल काम करता है। जिससे बिहार विकास की ओर अग्रसर है। सीएम नीतीश की चल रही प्रगति यात्रा में भी जो घोषणाएं हुई उसे कैबिनेट बैठक में त्वरित मंजूरी दी गई। इन्हीं कारणों से तेजस्वी यादव परेशान हैं। इसलिए वो बिहार के अधिकारियों पर फिजूल की बातें कर रहे हैं।
वहीं जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी टैक्स पर ज्ञान दे रहे हैं। लगता है आपका राजनीतिक दिमाग-खराब हो गया है। सच ये है कि आपकी आवाज में आतंकराज की राजनीतिक बदबू आ रही है। आपको बता दे तेजस्वी यादव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि बिहार में अफसरशाही चरम पर है। राज्य में डीके टैक्स के बिना पत्ता तक नहीं हिलता है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सरकार और पुलिस को चला रहे हैं। मुख्य सचिव और डीजीपी तक की भी नहीं चलती है। पूर्व डिप्टी सीएम ने आरोप लगाया कि बेलगाम अफसरशाही के चलते मंत्री और विधायक भी कठपुतली बन गए हैं।
उन्होंने कहा कि 2018 के बाद से बिहार में सबसे बड़े पद मुख्य सचिव और डीजीपी के पद दिखावटी बनकर रह गए हैं। मुख्य सचिव और डीजीपी को कहीं बुलाया नहीं जाता है। अगर उन्हें सीएम नीतीश की बैठकों और यात्रा में बुलाया भी जाता है तो वरीयता को साइडलाइन कर एक कोने में जगह दे दी जाती है।