स्कूलों में होगी गर्मी की छुट्ठी, तारीखें होंगी तय; शिक्षा विभाग के ACS एस सिद्धार्थ ने पलटा केके पाठक का फैसला
बिहार शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ ने 'शिक्षा की बात' कार्यक्रम में कहा कि अब स्कूलों में गर्मियों की छुट्ठी होगी। जिसकी तारीखें पहले से फिक्स की जाएंगी। हालांकि गर्मी की छुट्टी की तर्ज पर ठंड की छुट्टी नहीं होगी, लेकिन ज्यादा ठंड पड़ने पर स्कूल बंद होंगे।
बिहार के सरकारी स्कूलों में अब गर्मियों की छुट्ठी होगी। जिसकी तारीखें भी पहले से तय की जाएंगी। ये जानकारी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दी। उन्होने कहा कि गर्मी की छुट्टी की तर्ज पर ठंड की छुट्टी नहीं होगी, लेकिन काफी ठंड पड़ने पर स्कूल बंद होंगे। हालांकि गर्मी की छुट्टी की तारीख पहले तय होंगी। ताकि शिक्षक-बच्चे अपनी छुट्टी प्लान कर सकें। अत्यधिक ठंड पड़ने पर छुट्टी उस समय की परिस्थिति को देखकर स्थानीय स्तर पर तय होंगे। अपर मुख्य सचिव ने शिक्षकों से कहा कि गर्मी छुट्टी में बच्चों को होमवर्क दिया जाए ताकि वे छुट्टी का बेहतर सदुपयोग कर सकें। इसके साथ ही एस सिद्धार्थ ने केके पाठक के उस फैसले को पलट दिया है। जिसमें गर्मी और ठंड की छुट्टियों में भी स्कूल खुलते थे।
एसीएस एस सिद्धार्थ ने बताया कि सूबे के सरकारी विद्यालयों में विज्ञान और गणित के ओलंपियाड फिर शुरू होंगे। चौथी कक्षा से दसवीं तक के बच्चों के लिए इसे शुरू करने की योजना है। वो शिक्षा की बात, हर शनिवार के पांचवें एपिसोड में शिक्षकों और बच्चों के सवालों के जवाब दे रहे थे। डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि इसके लिए ऑनलाइन परीक्षा होगी। आगे इसे अन्य विषयों के लिए विस्तारित किया जाएगा। इसके अलावा अन्य प्रतियोगी मेधा इवेंट पर भी सरकार विचार कर रही है ताकि विद्यालयों में रचनात्मकता बढ़े। एक सवाल के जवाब में अपर मुख्य सचिव ने बताया कि शनिवार को बगैर यूनिफार्म दिवस माना जा सकता है। प्रधानाध्यापक इसे विद्यालयों में तय करेंगे। यह मुख्यालय के स्तर पर तय नहीं किया जाएगा। इसका प्रावधान इसलिए किया गया है कि यूनिफार्म को साफ करने का पूरा समय मिल सके।
दो दिनों में यूनिफार्म साफ किया जा सकेगा। हालांकि यह केवल शनिवार के लिए ही प्रभावी होगा। अन्य दिनों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकती है। डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि छोटे और बड़े बच्चों के लिए विद्यालय अवधि कम हो सकती है। हालांकि, यह प्रधानाध्यापक पर निर्भर करता है कि वे अलग-अलग वर्गों के लिए किस प्रकार समय तय करते हैं। विद्यालयों में वर्ग के कमजोर बच्चे आगे बैठेंगे। उनके लिए आगे की दो पंक्ति निर्धारित रहेगी। इन बेंच पर पढ़ने में कमजोर बच्चों को बैठाया जाएगा। इस समय यह हो रहा है कि कमजोर बच्चे पीछे बैठते हैं और वर्ग से कटे रहते हैं।
उन्होने कहा कि हम इस पर रोक लगाना चाहते हैं। वे वर्ग की पढ़ाई से सीधे जुड़े रहें, इसकी व्यवस्था करनी है। इसी तरह कमजोर बच्चों को विद्यालय अवधि के बाद शाम में किसी समय विद्यालय में अलग से पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी। एक-दो घंटे उन्हें विशेष शिक्षा दी जाएगी। सरकारी विद्यालय के बच्चों को मुख्यमंत्री क्षेत्र भ्रमण योजना के तहत प्रदेश के विशेष स्थलों का भ्रमण कराया जाता है। इस योजना में छूटे विद्यालयों के बच्चों को शीघ्र भ्रमण कराया जाएगा। इसकी योजना बन रही है।