बिहार आरक्षण कानून, जाति जनगणना के लिए सड़क पर उतरेंगे तेजस्वी, 1 सितंबर को आरजेडी का प्रदर्शन
- बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जाति और आरक्षण की लड़ाई और तेज होने वाली है। मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने 1 सितंबर को पूरे प्रदेश में बिहार आरक्षण कानून को 9नीं अनुसूची में डालने और जाति जनगणना कराने के मसले पर धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है।
बिहार में 2025 के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति के शतरंज पर मुद्दों की चाल तेज होने लगी है। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 1 सितंबर को पूरे प्रदेश में जाति जनगणना और बिहार आरक्षण कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने गुरुवार को पटना में कहा कि सभी जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन होगा। प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पटना में आयोजित प्रदर्शन में शामिल होंगे।
2021 की लंबित जनगणना की प्रक्रिया साल के अंत तक शुरू होने की चर्चा चल रही है। इसके बाद से ही जाति जनगणना पर राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे के तहत बयान और कार्यक्रम तय कर रहे हैं। बिहार में जाति जनगणना का राजनीतिक मसला और भी अहम है क्योंकि सीएम नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन की सरकार चलाने के दौरान राज्य में जाति आधारित सर्वे करवाया था। इस रिपोर्ट के आधार पर बिहार में ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी का आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का कानून पास हुआ था। हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
बिहार आरक्षण कानून पास करने वक्त आरजेडी और कांग्रेस के साथ रहे नीतीश अब भाजपा के साथ हैं। जब कानून पास हुआ तभी से नीतीश और तेजस्वी बिहार के आरक्षण कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा होने पर कानून को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती जबकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि किसी कानून को 9वीं अनुसूची में डालने की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है।
जनगणना की सुगबुगाहट के साथ जातियों की गिनती करवाने की मांग जोर पकड़ रही है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी इस मसले पर पहले से आक्रामक स्टैंड ले रहे हैं। बिहार में कांग्रेस की पार्टनर आरजेडी के लिए यह डबल अटैक एजेंडा है क्योंकि जाति जनगणना और बिहार आरक्षण कानून को 9वीं सूची में डालने की मांग के जरिए वो ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी वर्ग में खोए हुए जनाधार को वापस पाने की कोशिश करेगी।