अब क्या करेंके केके पाठक? स्कूलों में पर्याप्त कमरे नहीं, शिक्षकों ने खड़े किए हाथ; कहा- नहीं होगा यह काम
नौवीं से 12वीं तक मासिक मूल्यांकन परीक्षा 25 सितंबर से 4 अक्टूबर तक ली जाएगी। जिन स्कूलों में कमरों की कमी है वहां दिक्कतें आ रही है। अब प्राचार्य इसकी जानकारी जिला शिक्षा कार्यालय को दे रहे है।
बिहार के सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल तैयार करने के लिए और मुख्य सचिव के के पाठक जी जान से लगे हैं। लेकिन, स्कूलों में कमरों की कमी का असर मासिक मूल्यांकन परीक्षा पर साफ दिख रहा है। पटना के कई माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां कमरों की भारी कमी है। 164 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय और शेष राजकीय विद्यालय हैं। इन स्कूलों के शिक्षक मासिक मूल्यांकन परीक्षा लेने से हाथ कर कर रहे हैं क्योंकि जितनी संख्या में नामांकन है और उन्हें बैठने के लिए कमरों की जरूरत पड़ेगी उसके अनुकूल जगह नहीं है।एक साथ परीक्षा लेना मुश्किल हो रहा है। अब प्राचार्य इसकी जानकारी जिला शिक्षा कार्यालय को दे रहे है।
जानकारी के मुताबिक नौवीं से 12वीं तक मासिक मूल्यांकन परीक्षा 25 सितंबर से 4 अक्टूबर तक ली जाएगी। जिन स्कूलों में कमरों की कमी है वहां दिक्कतें आ रही है। बताते चलें कि शिक्षा विभाग के प्रयास से पिछले दो-तीन महीना में स्कूलों में उपस्थिति में काफी उत्साह जनक बढ़ोतरी हुई है। लेकिन कक्षा की कमी से विद्यार्थियों को बैठाने में जगह नहीं मिल पाती इसलिए माहौल खराब हो रहा है।
कमरों की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को अतिरिक्त कमरे बनवाने का आदेश दिया है। यह आदेश जुलाई के तीसरे सप्ताह में दिया गया था। पटना जिला की बात करें तो 250 विद्यालयों को चिन्हित किया गया है जहां पर कमरों की कमी है। इनमें से 200 माध्यमिक और 50 मध्य विद्यालय हैं। अभी मात्र 15 विद्यालय में अतिरिक्त कमरे का निर्माण हो पाया है। इन विद्यालयों में कक्ष निर्माण के लिए 5-5 लाख रुपए की राशि दी गई है।
बैठने की व्यवस्था नहीं होने से 25 30 फ़ीसदी छात्र चले जाते हैं वापस
जिला शिक्षा कार्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ पटना में 25 से 30% विद्यार्थी प्रतिदिन स्कूलों से लौट जाते हैं क्योंकि उन्हें स्कूल में बैठने की जगह नहीं मिलती। शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार स्कूलों में उपस्थिति बढ़ने से छात्र स्कूल तो आ रहे हैं लेकिन उचित महल नहीं बनने से पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही है। अब तो परीक्षा में दिक्कत हो रही है।
स्कूलों को इन सारी मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है
● कक्षा में बैठने के लिए छात्रों के बीच अक्सर हो जाती है लड़ाई
● एक साथ सभी बच्चे के आने से चेतना सत्र में खड़े होने की जगह नहीं होती
● शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी दिक्कतें बच्चों को बैठाने को लेकर होती है
● मध्याह्न भोजन में एक साथ सभी बच्चों को बैठाकर खिलाने में दिक्कतें आती है
पड़ताल
केस 1- उत्क्रमित उच्च मा. विद्यालय, सिंगोड़ी पालीगंज में नामांकन 685 है। यहां 18 कमरे हैं पर माध्यमिक के लिए केवल दो कमरे ही मिले हैं। प्राचार्य ने डीईओ को पत्र लिख कर बताया है कि नौवीं से 12वीं तक मासिक परीक्षा लेना संभव नहीं होगा। रोज स्कूल में चार सौ के लगभग बच्चे आते हैं पर बैठने की जगह कम है।
केस 2- राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गर्दनीबाग में छह सौ छात्राएं नामांकित हैं। स्कूल के आठ कमरों पर कॉलेज का कब्जा है। ऐसे में कक्षाओं की भारी कमी है। एक बेंच पर चार-चार छात्राएं बैठती हैं। इसके बाद भी जगह नहीं मिल पाती है। अब मासिक परीक्षा को लेकर स्कूल ने कक्षा की कमी डीईओ को बताया गया है।
केस 3- उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय नौबतपुर में 535 छात्र नामांकित हैं। स्कूल में मात्र दो कमरे हैं। इनमें एक साथ 90 छात्र के बैठने की जगह है। शिक्षक भी नहीं है। ऐसे में 535 छात्रों की मासिक परीक्षा एक साथ लेना संभव नहीं है। विद्यालय में कक्षा बनाने के लिए कई बार डीईओ को लिखा जा चुका है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले में पूछने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा है कि 250 स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा का निर्माण किया जाना है। अभी 15 विद्यालयों में अतिरिक्त भवन बनाए गए हैं। शेष जगह पर काम चल रहा है। जल्दी कक्षाओं की कमी दूर हो जाएगी और स्कूल की समस्याओं का समाधान कराया जाएगा।