मिसाल; खुद पढ़ नहीं सके, शिक्षा के लिए त्याग दी जमापूंजी, इस अनपढ़ शख्स ने अपनी पूरी जमीन स्कूल में कर दिया दान
विश्वनाथ भगत कहते हैं कि खुद पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाया इसका मलाल आज भी है। लेकिन मुझे शिक्षा से हमेशा से लगाव रहा है। बच्चों के भविष्य के लिए अपनी जमीन स्कूल को दान देने का फैसला कर लिया।।
पढ़ा लिखा होना और शिक्षा से प्रेम करना अलग अलग मसले हैं। अनपढ़ लोग भी शिक्षा प्रेमी हो सकते हैं। बिहार के गोपालगंज के विश्वनाथ भगत ने इस धारणा को सच कर दिखाया है। देश की भावी पीढ़ी को पढ़ा लिखा कर उनका बेहतर भविष्य संवारने के लिए उन्होंने ऐसा मिसाल पेश किया है जिसे सदियों तक याद किया जाएगा। गरीबी से जीवन गुजारने वाले विश्वनाथ भगत ने अपने गांव के भवनहीन सरकारी विद्यालय के निर्माण के लिए अपनी पूरी जमीन दान कर दिया। आज उस जमीन पर स्कूल का भव्य भवन बना है जिसमें करीब 800 बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें देखकर उनकी खुशियां डबल हो जाती हैं
गोपालगंज मांझा के लंगटुहाता गांव निवासी विश्वनाथ भगत अपनी इसी जमीन पर छोटी सी दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। उनके पास वही मात्र तीन कट्ठा जमीन थी। उधर गांव का सरकारी स्कूल सामुदायिक भवन में चलता था। कुछ दिनों बाद भवन जर्जर हो गया और बच्चों की पढ़ाई कभी पेड़ के नीचे तो कभी खुले आसमान के नीचे होने लगी।
स्कूल का भवन बनाने के कई लोगों से जमीन दान देने के लिए कहा गया लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। इधर शिक्षा की यह दुर्दशा विश्वनाथ भगत देख नहीं सके। उन्होंने अपनी जमीन स्कूल के लिए दान देने का फैसला कर लिया। पदाधिकारियों के सहयोग से उनके द्वारा दान दी गई जमीन पर विद्यालय के भवन का निर्माण कराया गया। आज सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
विश्वनाथ भगत का कहना है कि बात 2006 की है जब गांव के स्कूल में जमीन की कमी के कारण पढ़ाई लिखाई का माहौल खराब हो रहा था। उसके बगल में मेरी तीन कट्ठा जमीन थी। मैं अपने जीवन में पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाया इसका मलाल रह गया। लेकिन मुझे शिक्षा से लगाव है। इसलिए अपनी जमीन स्कूल को दान देने की योजना बना ली। विश्वनाथ भगत कहते हैं कि परिवार के लोगों को जब इसकी जानकारी लगी तो विरोध करने लगे। मैंने उनकी बात नहीं मानी और कहा कि अपने हिस्से की जमीन मैं स्कूल को दान में दे दूंगा। और इसे सच करके दिखा दिया। विश्वनाथ भगत कहते हैं कि यह देखकर आज मुझे बहुत खुशी होती है कि बच्चे इस स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल में दूर-दूर से बच्चे आते हैं और अपना भविष्य संवार रहे हैं। अब परिवार वाले भी मान गए हैं। वह अक्सर स्कूल में आकर पढ़ाई लिखाई व्यवस्था क्या जायजा लेते रहते हैं।