बिहार की सियासत में दंपतियों का जलवा, अब तक इतने पति-पत्नी जीत चुके हैं लोकसभा चुनाव
बिहार की राजनीति में दंपतियों का भी जलवा रहा है। ऐसे 8 पति-पत्नी हैं जो सांसद बने हैं। जिनमें पूर्व CM सत्येन्द्र नाराय उनकी पत्नी किशोरी सिन्हा, पूर्व सीएम चंद्रशेखर सिंह उनकी पत्नी मनोरमा शामिल हैं
बिहार की सियासत में कई ऐसे सियासी दिग्गज हुए, जो खुद तो सांसद हुए ही उनकी पत्नी भी सांसद हुईं। ऐसे दंपतियों की संख्या आठ है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और उनकी पत्नी किशोरी सिन्हा, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह और उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, निखिल कुमार और उनकी पत्नी श्यामा सिंह, दिग्विजय सिंह व उनकी पत्नी पुतुल देवी, अजीत सिंह व उनकी पत्नी मीना सिंह, आनंद मोहन व उनकी पत्नी लवली आनंद, सूरजभान व उनकी पत्नी वीणा सिंह और पप्पू यादव व उनकी पत्नी रंजीत रंजन शामिल हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा ने 1952 में औरंगाबाद से जीत हासिल की। वे इस सीट से 1952, 1957, 1971, 1977, 1980 व 1984 में विजयी हुए। पत्नी किशोरी सिन्हा ने वैशाली से 1980 में और 1984 में जीत दर्ज की। पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर सिंह ने 1980 और 1985 में बांका से चुनाव जीता। उनकी पत्नी मनोरमा सिंह 1984 और 1986 में यहां से चुनाव जीता। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के पुत्र निखिल कुमार को भी 2004 में औरंगाबाद से सांसद बनने का अवसर मिला। यहां से उनकी पत्नी श्यामा सिंह पहले ही 1999 में जीत मिली थी। औरंगाबाद में सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और उनके पुत्र दोनों को ही जीत मिली।
अजीत सिंह ने 2004 के आम चुनाव में बिक्रमगंज से चुनाव जीता। इसके बाद उनकी पत्नी मीना सिंह ने आरा लोकसभा सीट से 2009 में जीत हासिल की। बाहुबली सूरजभान ने 2004 में बलिया लोकसभा सीट से चुनाव जीता। परिसीमन के बाद यह सीट खत्म हो गयी। फिर उनकी पत्नी वीणा सिंह ने मुंगेर लोकसभा सीट पर 2014 में जीत का परचम लहराया। बाहुबली आनंद मोहन 1996 में शिवहर से तो उनकी पत्नी लवली आनंद 1994 में वैशाली से जीतीं। बाहुबली पप्पू यादव पांच बार संसद पहुंचे तो उनकी पत्नी रंजीत रंजन दो बार विजयी हुई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह व उनकी पत्नी पुतुल देवी दोनों ने बांका क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। दोनों ने ही इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। दिग्विजय सिंह समता पार्टी के टिकट पर 1998 और 1999 में चुने गए। 2009 बांका से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सफलता प्राप्त की। 2010 में उनके निधन के बाद उनकी पत्नी पुतुल कुमारी ने बांका सीट पर निर्दलीय उपचुनाव जीता। दो मौके ऐसे आए जब पति और पत्नी एक साथ संसद पहुंचे। 1984 में औरंगाबाद से सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और वैशाली से उनकी पत्नी किशोरी सिन्हा संसद पहुंची। 2014 में पप्पू यादव ने मधेपुरा और उनकी पत्नी रंजीत रंजन ने सुपौल जीत हासिल की।