ऐसी अराजकता कभी नहीं दिखी, कंट्रोल करें CM नीतीश; केके पाठक-BPSC विवाद पर बोले विजय सिन्हा
उन्होंने कहा कि बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी के के पाठक के बीच जो टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा विभाग के इतिहास में ऐसी अराजक स्थिति नहीं दिखी।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक और बिहार लोक सेवा आयोग, BPSC के बीच शिक्षक भर्ती मामले को लेकर चल रही तनातनी और लेटर वार पर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश कुमार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। भाजपा नेता ने कहा है कि मुख्यमंत्री को तुरंत इस मामले में पहल करके हालात को कंट्रोल करना चाहिए। इससे बिहार की बहुत बदनामी हो रही है।
रविवार को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने इस बारे में बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी के के पाठक के बीच जो टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षा विभाग के इतिहास में ऐसी अराजकता की स्थिति कभी नहीं देखी गई। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तुरंत पहल करना चाहिए ताकि विवाद खत्म हो और हालात पर नियंत्रण कायम हो सके क्योंकि इससे प्रदेश की बदनामी हो रही है।
इससे पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी केके पाठक और बीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद के बीच विवाद को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पाठक को नीतीश कुमार संरक्षण दे रहे हैं। दरअसल नीतीश कुमार ने इगो पाल लिया है जिसे वह समाप्त कर नहीं करना चाहते। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि क पाठक ने शिक्षा मंत्री का अपमान किया। इतना ही नहीं अपर मुख्य सचिव ने बिहार के राज्यपाल की स्वायत्तता पर भी सवाल उठाया। लेकिन नीतीश कुमार कुछ नहीं बोले बल्कि समर्थन कर दिया। इससे क पाठक का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
बताते चलें कि इन दोनों बिहार लोक सेवा आयोग के के पाठक के निशाने पर है। पिछले दिनों चिट्ठी भेज कर केके पाठक ने बीएससी से कहा था कि राज्य में 1 लाख 70 हज़ार शिक्षकों की भर्ती में पुराने शिक्षकों को नहीं लगाया जाए। इससे विद्यालय में पठन-पाठन बाधित होता है। केके पाठक ने कड़े शब्दों में पत्र लिखा था। उसके बाद बीएससी अध्यक्ष की ओर से भी पाठक को निशाना बनाते हुए टिप्पणी की गई। बिहार लोकसभा आयोग ने पत्र भेजकर शिक्षा विभाग को बताया कि बीएससी एक स्वायत्त संस्था है। उसे निर्देश देने का काम ना करें। इस पर केके पाठक फिर रंज हो गए। उन्होंने फिर से एक पत्र भेज कर बीएससी को अपने हद में रहने की सलाह दे दी। दोनों संस्थाओं के बीच लेटर वॉर से बिहार की किरकिरी हो रही है।