निरीक्षण से स्कूलों में कितना बदलाव? केके पाठक ने किया जवाब तलब; सभी DEO के लिए ACS का नया फरमान यह
विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर जिलों से पूरी जानकारी मांगी गई है। एक जुलाई के पहले अथवा निरीक्षण के शुरुआत में जो स्थिति थी, उसमें क्या प्रगति हुई है, इसकी जानकारी डीईओ को देना है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, ACS केके पाठक स्कूलों में पठन पाठन की दशा सुधारने में पूरी ताकत से लगे हैं। उनके आदेश पर राज्यभर के स्कूलों में ताबड़तोड़ निरीक्षण का दौर चला। अब स्कूलों के दैनिक निरीक्षण व्यवस्था से क्या-क्या बदलाव आये हैं, इसकी जनाकारी ली जा रही है। सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी इसका (डीईओ) देंगे। व्यवस्था में हुए बदलाव को फोटो के साथ दिखाना है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने वाली समीक्षा बैठक में डीईओ प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह जानकारी शिक्षा विभाग को देंगे।
विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर जिलों से पूरी जानकारी मांगी गई है। एक जुलाई के पहले अथवा निरीक्षण के शुरुआत में जो स्थिति थी, उसमें क्या प्रगति हुई है, इसकी विस्तृत जानकारी डीईओ को देनी है। इसमें शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की उपस्थिति, आधारभूत संरचना, स्कूल परिसर की साफ-सफाई, कबाड़ का निस्तारण आदि सब-कुछ के बारे में बताना है। पहले और अब की स्थिति में जो बदलाव हुए हैं, उसका प्रमाण फोटो के साथ देना है। हर दिन अलग-अलग कुछ जिलों के पदाधिकारी इस संबंध में जानकारी देंगे।
रिपोर्ट में क्या
रिपोर्ट बताती है कि माध्यमिक-उच्च माध्यमिक में उपस्थिति अधिक खराब है। इसका मुख्य कारण निजी कोचिंग का संचालन भी है, जो स्कूल अवधि में ही चलते हैं। विभाग ने ऐसे कोचिंग पर भी कार्रवाई करने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है, जिसके लिए 31 अगस्त तक की डेडलाइन है। डीईओ को इसके साथ ही यह भी निर्देश है कि स्कूलों में निरीक्षण करने जाने वाले अफसर यह भी देखेंगे कि शिक्षक बच्चों को को कक्षा में पढ़ा रहे हैं या नहीं। कुछ स्कूलों में अफसर भी 30-40 मिनट बच्चों को पढ़ाएंगे। आदेश है कि निरीक्षण में जाने वाले शिक्षक सिर्फ शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति ही न देखें।
उपस्थिति बढ़ाना लक्ष्य
विभाग ने पदाधिकारियों को स्पष्ट कहा है कि राज्य का कोई ऐसा स्कूल नहीं होना चाहिए, जिसमें 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे उपस्थित हो। इसके लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया है। राज्य में अभी भी 19 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं, जहां 50 प्रतिशत से कम बच्चे आ रहे हैं। ऐसे प्रारंभिक स्कूल 16 प्रतिशत हैं तो माध्यमिक-उच्च माध्यमिक 44 प्रतिशत।