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गायघाट रिमांड होम केस: पटना पुलिस ने बनाई एसआईटी, सिटी एसपी खुद करेंगे मामले की समीक्षा, ये अधिकारी करेंगे जांच

गायघाट उत्तर रक्षा गृह कांड मामले की जांच को लेकर पटना पुलिस ने एसआईटी गठित कर दी है। एसएसपी की ओर से गठित एसआईटी में सचिवालय डीएसपी काम्या मिश्रा के नेतृत्व में नौ पुलिस पदाधिकारियों को शामिल किया...

Sneha Baluni वरीय संवाददाता, पटनाThu, 17 Feb 2022 06:33 AM
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गायघाट उत्तर रक्षा गृह कांड मामले की जांच को लेकर पटना पुलिस ने एसआईटी गठित कर दी है। एसएसपी की ओर से गठित एसआईटी में सचिवालय डीएसपी काम्या मिश्रा के नेतृत्व में नौ पुलिस पदाधिकारियों को शामिल किया गया है। सात महिला इंस्पेक्टर और दारोगा सहित दो पुरुष दारोगा को शामिल किया गया है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद महिला थाने में उत्तर रक्षा गृह से निकली पीड़िता ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी। 

दस दिन तक भटकने के बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इसके बाद एक और पीड़िता ने उत्तर रक्षा गृह की अधीक्षक वंदना गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है। बुधवार को गठित एसआईटी के अनुसंधान की समीक्षा सिटी एसपी खुद करेंगे। महिला थाना कांड संख्या 13/22 में धारा 341, 323, 328, 450 और 354 (बी) और कांड संख्या 17/22 में आईपीसी की धारा 341, 323, 328, 376, 120(बी) मानव तस्करी की धारा 3/4 में प्राथमिकी दर्ज की गई है। 

दो पीड़िताओं द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी में उत्तर रक्षा गृह की अधीक्षक वंदना गुप्ता पर जबरदस्ती होम में बंद करके रखना, नशे की सूई देना और मानव व्यापार कराने का आरोप लगाया गया है। एसआईटी की टीम ने दर्ज धाराओं के तहत कांड की सूक्ष्मता से जांच कर संलिप्त अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करेगी। 

एसआईटी में शामिल पुलिस पदाधिकारी

सहायक पुलिस अधीक्षक सचिवालय काम्या मिश्रा के नेतृत्व में महिला थानाध्यक्ष किशोरी सहचरी, आरती जायसवाल, एसआई धर्मेंद्र कुमार, पीएमसीएसएच टीओपी प्रभारी अमरेंद्र कुमार, महिला थाना की दारोगा लूसी कुमारी, शास्त्रीनगर की दारोगा स्मिता सिन्हा, महिला थाना की दारोगा कुमारी अंचला और आलमगंज की दारोगा प्रतिमा कुमारी इसमें शामिल हैं। 

यह है मामला

उत्तर रक्षा गृह से निकली एक युवती का वीडियो वायरल हुआ था। एक संस्था को मिली युवती उत्तर रक्षा गृह नहीं जाना चाहती थी। उसका कहना था कि नशे की सूई देकर लड़कियों को बाहर भेजा जाता है। जो लड़की उसकी बातें नहीं मानती है, उसे भूखा रखा जाता है। पीड़िता की मौत भूख से होने का भी आरोप लगाया। हालांकि समाज कल्याण विभाग ने इस मामले में क्लीनचिट दे दी थी। इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मामले की प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने मामला संवेदनशील बताया था। यही नहीं पीड़िता को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने को कहा है। इसके बाद एक और पीड़िता का वीडियो वायरल हुआ है।

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