पिता ने दी जान, बेटे के साथ छलावा; कलेक्ट्रेट में आत्मदाह कर चुके बिंदालाल के परिवार को मिली विवादित जमीन?
मृतक के पुत्र मुन्ना गुप्ता को नया बासगीत पर्चा विवादित जमीन का ही दे दिया गया है। अब इस पीड़ित परिवार की चिंता है कि जिस विवादित जमीन का बासगीत पर्चा मिला है उस पर घर कैसे बनेगा।
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बासगीत पर्चे की जमीन पर कब्जे के लिए चार साल की लंबी लड़ाई में थक कर बिहार के मुजफ्फरपुर कलेक्ट्रेट में खुद को जिंदा जला लेने वाले कांटी के बिंदालाल गुप्ता के परिजनों के साथ फिर से छलावा ही किया गया है। मृतक के पुत्र मुन्ना गुप्ता को नया बासगीत पर्चा विवादित जमीन का ही दे दिया गया है। अब पीड़ित परिवार की चिंता है कि एक विवादित जमीन के बासगीत पर्चे के कारण बिंदालाल को जान देनी पड़ी। फिर परिवार को दूसरी विवादित जमीन दे दी गई है। इस मामले में प्रशासनिक पदाधिकारी का कहना है कि पीड़ित परिवार को दी गई जमीन पर कोई विवाद नहीं है।
मुन्ना ने कांटी सीओ से मिलकर बासगीत पर्चे वाली जमीन पर विवाद की बात बताई। इस पर कांटी सीओ ने उससे कहा है कि जमीन पर कब्जा कैसे होगा यह प्रशासन तय करेगा। इधर, बिंदालाल के आत्मदाह के लिए जिम्मेदारों को चिह्नित कर अब तक गिरफ्तारी नहीं किए जाने से परिवार और समाज के लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। इसको लेकर कांटी में गुरुवार को इंसाफ मार्च निकालने की तैयारी है। बिंदालाल के घर से कांटी ओवरब्रिज तक लोग हाथों में कैंडल लेकर इंसाफ मार्च निकालेंगे।
वहीं, मुन्ना का कहना है कि प्रशासन ने जिस जमीन का पर्चा दिया है उस पर पहले से तीन लोगों को बासगीत पर्चा दिया गया था। तीनों में से किसी का कब्जा नहीं हुआ। मामला कोर्ट में चल रहा है। उसे उसी जमीन का पर्चा दे दिया गया है। इस संबंध में कांटी के प्रमुख कृपाशंकर शाही ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर इस विवादित जमीन पर विस्तार से पोस्ट डाला है। उन्होंने बताया कि मुन्ना गुप्ता को जिस जमीन का पर्चा दिया गया है। उस पर पूर्व में तीन लोगों का पर्चा कटा गया था। लेकिन, तीनों का पर्चा लड़ाई के बाद रद्द कर दिया गया।
प्रमुख कृपाशंकर शाही ने बताया कि जमीन के पुराने खतियानी रैयत कोर्ट में टाइटल शूट भी लड़ रहे हैं। इस जमीन के पीछे 17 परिवार बसे हुए हैं। उनकी पानी निकासी के लिए डेढ़ डिसमिल जमीन आयुक्त के आदेश से नाला निर्माण के लिए दिया गया है। ऐसे में मुन्ना को मिली बासगीत पर्चे की जमीन पूर्व से विवादित है। इस पर कब्जा से नया बखेड़ा खड़ा होगा। प्रखंड प्रमुख ने बताया कि इस संबंध में कांटी सीओ से लेकर एसडीओ तक को जानकारी दी थी। लेकिन, हड़बड़ी में बगैर सूझबूझ व पड़ताल किए मुन्ना को फिर विवादित जमीन का ही पर्चा दे दिया गया है।
इस मामले में कांटी सीओ ऋषिका ने बताया की जमीन पर कोई विवाद नहीं है। अंचल में मौजूद राजस्व अभिलेख में ऐसा कुछ भी दर्ज नहीं है। पर्चा जारी करने से पहले पुराने राजस्व कर्मचारी और मुखिया से जानकारी ली गई। उक्त जमीन का पर्चा किसी के नाम नहीं दिया गया है। अगर किसी को कोई पर्चा दिया जाता तो जमाबंदी चलता। सीओ ने बताया कि इस पूर्व में एक जमाबंदी चला था जो नामांतरण वाद के तहत था। उसे रद्द कर दिया गया। आज की तारीख में हमारे खतियान में उस जमीन का किस्म बिहार सरकार खास दर्ज है। पीड़ित परिवार को आवास निर्माण में मदद दी जाएगी।
इधर, कांटी इलाके में बिंदालाल के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा व परिवार में एक को नौकरी देने की मांग जोर पकड़ रही है। इसके लिए सामाजिक संगठन खुलकर सामने आ रहे है। गुरुवार को इंसाफ मार्च में भी यह मुद्दा उठाया जाएगा। बता दें कि बिंदालाल की पत्नी किशोरी देवी के आवेदन के आधार पर नगर थाने में दर्ज एफआईआर में नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है।
बताते चलें कि कई साल पहले बिंदालाल को घर बनाने केलिए तीन डिसमिल जमीन का बासगीत पर्चा दिया गया था। लेकिन अपने हिस्से की जमीन पर दखल पाने के लिए उन्हें आत्दाह करना पड़ा।चार साल से वह इस जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। अंचल से लेकर जिला के तक कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो चुके थे। जनता दरबार में फरियाद करने के बाद डीसीएलआर पश्चिम के आदेश पर उक्त जमीन की जांच पड़ताल की गयी। जांच में सही पाए जाने पर डीसीएलआर पश्चिम ने कांटी सीओ को दाखिल कब्जा कराने का आदेश भी दिया था। परंतु कांटी के तात्कालीन सीओ ने आदेश की अवहेलना करते हुए दाखिल कब्जा नहीं होने दिया था। पांच जुलाई को इसी मामले में बिंदालाल जनता दरबार गए थे। वहीं उन्होंने कलेक्ट्रेट में ज्वलनशील पदार्थ शरीर पर डालकर आग लगा लिया। अधिवक्ता एसके झा की पहल पर राज्य एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इसकी जांच कर रही है।