बिहार के लोगों को बिजली का झटका देने की तैयारी, नए साल में 50 पैसे यूनिट तक महंगी हो सकती है बिजली
बिजली कंपनी की दलील पर आयोग ने सभी पक्षों के विचार लिए। पिछले सप्ताह आयोग ने कंपनी की इस याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को इस बाबत आदेश जारी कर दिया गया।
बिहार अगले साल एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष में बिजली 50 पैसे प्रति यूनिट की दर से महंगी हो सकती है। बिजली कंपनी की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के बाद बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने यह फैसला दिया है। आयोग ने बिहार में अगले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में 32,587.01 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति की शर्त के साथ बिजली दर बढ़ाने की याचिका मंजूर कर दी है। आयोग की ओर से यह निर्णय अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने सुनाया।
दरअसल, 1 अप्रैल 2022 से लागू बिजली दरों में आयोग ने कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने 23835.31 करोड़ रुपये की मांग की थी। बिजली की बिक्री से होने वाली आमदनी के बावजूद कंपनी ने 1184.41 करोड़ कम होने का हवाला दिया था। आयोग ने सभी तथ्यों की समीक्षा कर बिजली कंपनी का खर्च 21545.97 करोड़ ही माना। बिजली की बिक्री से कंपनी को होने वाली आय के बाद मात्र 6.69 करोड़ का अंतर पाया और बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की। इसी के विरोध में कंपनी ने बिजली दरों में वृद्धि करने के लिए संशोधित याचिका दायर की थी।
बिजली कंपनी की ओर से दिए गए सभी तर्कों को आयोग ने खारिज कर दिया था। लेकिन आयोग के निर्णय के बाद बिजली कंपनी ने पुनर्विचार याचिका दायर की। कंपनी ने कहा कि आयोग ने अपने निर्णय में राज्य सरकार की ओर से दिए गए 1264.38 करोड़ के अनुदान की गणना नहीं की। इसके अलावा कंपनी ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की योजना आरडीएसएस में तकनीकी एवं व्यावसायिक नुकसान (एटीएंडसी) 19.50 फीसदी की मंजूरी दी गई पर आयोग ने 15 फीसदी पर ही अपना निर्णय सुनाया। इसके अलावा बिहार के लोगों को बिजली देने के लिए कंपनी ने खुले बाजार से महंगी बिजली की खरीदारी की। आयोग ने इन मुद्दों की अनदेखी की।
बिजली कंपनी की दलील पर आयोग ने सभी पक्षों के विचार लिए। पिछले सप्ताह आयोग ने कंपनी की इस याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को इस बाबत आदेश जारी कर दिया गया। आयोग ने राज्य सरकार से मिले अनुदान को स्वीकार करते हुए कंपनी के अन्य सभी तर्कों को खारिज कर दिया। कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के ट्रूइंग-अप (वास्तविक खर्च) आदेश की समीक्षा के तत्काल आदेश में राज्य सरकार से प्राप्त एटीएंडसी हानि को सब्सिडी के कारण 1264.38 करोड़ के अतिरिक्त ही निर्णय सुनाया था।
इस साल नहीं बढ़ेंगी दरें
आयोग ने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में बिजली दर में कोई वृद्धि नहीं होगी। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए दायर की जाने वाली जनहित याचिका में इस अनुदान को शामिल किया जाए। कंपनी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुरूप अगर वित्तीय वर्ष 2023-24 में अनुमानित बिक्री 32587.01 मिलियन यूनिट रहती है तो 48.89 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि बिजली कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में कंपनी ने 24 हजार 342 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति हुई थी। 2021-22 में यह बढ़कर 27 हजार 743.32 मिलियन यूनिट हुई। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 29 हजार 835 मिलियन यूनिट होने के आसार हैं।