Hindi Newsबिहार न्यूज़centre give nod for prosecution sanction against three retired ias officers including former jdu leader in connection with sc st scholarship scam detected seven years ago

दलित बच्चों के फंड में तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों ने की हेरफेर, केंद्र सरकार ने दी अभियोजन की मंजूरी, पढ़ें क्या है पूरा मामला

केंद्र ने 5.5 करोड़ रुपये के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में जदयू के एक पूर्व नेता सहित तीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इस...

Sneha Baluni हिन्दुस्तान टाइम्स, पटनाTue, 15 March 2022 02:11 PM
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केंद्र ने 5.5 करोड़ रुपये के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में जदयू के एक पूर्व नेता सहित तीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इस घोटाले का पता सात साल पहले चला था। 29 नवंबर, 2016 को सतर्कता जांच विभाग (वीआईबी) द्वारा 1986 बैच के अधिकारी केपी रमैया, 1991 बैच के आईएएस अधिकारी एसएम राजू और रामाशीष पासवान के अलावा 13 अन्य के खिलाफ राज्य सरकार के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

इन अधिकारियों पर 2013-14 और उससे पहले के दौरान बिहार से बाहर तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं का आरोप लगा था। यह मामला फिलहाल आगे की प्रक्रिया के लिए पटना की विशेष सतर्कता अदालत में विचाराधीन है। आंध्र प्रदेश के रहने वाले रमैया ने नीतीश कुमार द्वारा बनाए गए मशहूर 'महादलित आयोग' का नेतृत्व किया था। इस आयोग को दलित जातियों में सबसे गरीब लोगों के कल्याण के लिए बनाया गया था, जिसमें लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान की जाति को छोड़कर बाकी सभी शामिल थे।

एससी और एसटी विभाग के प्रमुख सचिव के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के तुरंत बाद, रमैया ने 2014 में सासाराम से जदयू उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। दशरथ मांझी कौशल विकास योजना जिसे केंद्र सरकार से विशेष सहायता प्राप्त थी 2007 में शुरू की गई थी, लेकिन 2010 में जाकर प्रशिक्षण शुरू हुआ। मामले के जांच अधिकारी एडिशनल एसपी मोहम्मद काशिम ने मामले में तीन पूर्व आईएएस के अलावा सेवानिवृत्त बीएएस अधिकारी प्रभात कुमार, मिशन के राज्य कार्यक्रम निदेशक देबजानी कार उनके पति जयदीप कार (आईआईआईएम रणनीतिक परियोजना प्रमुख), उमेश मांझी और सौरव बसु (श्रीराम न्यू होराइजन के उपाध्यक्ष) सहित 10 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।

घोटाले में अभी भी आईएएस अधिकारी रवि मनुभाई परमार और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ जांच जारी है। वीआईबी द्वारा जमा की गई चार्जशीट के अनुसार, रमैया ने अपने वीआरएस से बमुश्किल दो दिन पहले इंडस इंटीग्रेटेड इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट (आईआईआईएम) को चार अलग-अलग चेकों से 2.24 करोड़ रुपये वितरित किए। चार्जशीट का हवाला देते हुए, राजू ने श्रीराम न्यू होराइजन को 3.30 करोड़ रुपये बिना किसी अस्थायी निविदा के चयन के वितरित किए थे। उन्होंने मिशन के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई भी बनाई जिसके परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को 1.04 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ जिसमें सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रामाशीष पासवान का निदेशक के तौर पर वेतन भी शामिल था।

जांच अधिकारी ने कहा, 'वीआईबी जांच के दौरान, पता चला कि उनके नाम सूची में शामिल हैं जिन्होंने कभी ऐसा कोई कोर्स किया ही नहीं। हैरान करने वाली बात यह है कि इन उम्मीदवारों को बकायदा ट्रेनिंग का प्रमाणपत्र दिया गया था।' सूची में जिन युवाओं के नाम शामिल थे उन्होंने लिखित बयान में बताया कि उन्होंने कभी ऐसी कोई ट्रेनिंग नहीं ली। आईओ ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की विशेष सतर्कता अदालत के समक्ष अभियोजन स्वीकृति प्रस्तुत की। कोर्ट सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों के खिलाफ समन जारी कर सकती है।

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