बेटा पहले 100 रुपए लेता था, अब 400; शराबबंदी से बिहार की महिलाएं परेशान; बोले जन सुराज के अध्यक्ष मनोज भारती
बिहार में लागू शराबबंदी पर जन सुराज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि शराबबंदी से सबसे ज्यादा परेशान राज्य की महिलाएं हैं। पहले उनसे बेटा 100 रुपए मांगता था, अब 400 रुपए मांगता है।
बिहार में जारी शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने बड़ा बयान दिया है। उन्होने कहा कि शराबबंदी से बिहार की महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं। एक महिला समूह से लिए गए फीडबैक के आधार पर भारती ने कहा, कि जो लोग समझते हैं कि बिहार में शराबबंदी से महिलाएं खुश हैं, तो ऐसा नहीं है। बल्कि वो ज्यादा परेशान हैं। क्योंकि हर चीज के दो-तीन पहलू होते हैं। वैसा ही शराबबंदी के साथ भी है।
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में मनोज भारती ने बताया कि जब हमने करीब 15 हजार महिलाओं से इस मामले पर बात की। तो उन्होने बताया कि पहले बेटा 100 रुपए लेता था, और अब 400 रुपए मांगता है। शराबबंदी के चलते हजारों महिलाओं के पति, बेटे जेल में हैं, उन्हें छुड़ाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाना पड़ रहा है, उनसे पूछिए। तो ये कहना कि बिहार में शराबबंदी से महिलाएं खुश हैं, तो ये गलत है, बल्कि महिलाएं परेशान ज्यादा हैं। क्या वो शराबबंदी को जायज ठहराती हैं।
प्रशांत किशोर ने जिस तरह 2 अक्टूबर को अपनी रणनीति के तहत बताया कि शराबबंदी खत्म करने से उससे मिलने वाले राजस्व को शिक्षा के क्षेत्र में लगा सकते हैं। उसका अलग महत्व है। हर चीज के अलग-अलग पहलू होते हैं। वहीं विरोधियों के 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती पर प्रशांत किशोर के शराबबंदी खत्म करने के ऐलान को गांधी की विचारधारा के खिलाफ बताने के सवाल का जवाब भी मनोज भारती ने दिया।
प्रशांत किशोर ने जिस तरह 2 अक्टूबर को अपनी रणनीति के तहत बताया कि शराबबंदी खत्म करने से उससे मिलने वाले राजस्व को शिक्षा के क्षेत्र में लगा सकते हैं। उसका अलग महत्व है। हर चीज के अलग-अलग पहलू होते हैं। वहीं विरोधियों के 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती पर प्रशांत किशोर के शराबबंदी खत्म करने के ऐलान को गांधी की विचारधारा के खिलाफ बताने के सवाल का जवाब भी मनोज भारती ने दिया।
|#+|
जन सुराज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि महात्मा गांधी नशामुक्ति की बात करते थे, लेकिन कभी उन्होने सरकार से शराबबंदी कानून बनाने की बात नहीं कही। गांधी जी शाकाहारी थे, तो क्या उन्होने कभी सरकार से कहा कि मांसाहारी लोगों को जेल में डाल दीजिए। हम महात्मा गांधी के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। जब तक सामाजिक न्याय और समाज में बदलाव लाने की बात चल रही है। लेकिन सरकार चलाने के लिए क्या जरूरी है, और लोगों के हित में प्रशासन की ओर से क्या है। ये देखने वाली बात है।