भारत-पाक बंटवारे में मृत 3 सौ पूर्वजों का श्राद्ध, कश्मीर के राजकुमार शर्मा ने किया पिंडदान
राजकुमार शर्मा ने कहा कि बटवारा होते ही पाकिस्तान में रहने वाले उनके तीन गोत्र के 300 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। जवान लड़कों को मार दिया गया। सिर्फ बूढ़े और बच्चे छूटे थे। बच्चे होने की वजह से वह बच गए थे।
Pitru Paksh Mela: विष्णुनगरी गया में चल रहे पितृपक्ष मेला-2024 में देश के कोने-कोने से तीर्थयात्री आकर पिंडदान कर रहे हैं। प्रतिदिन हजारों लोग पिंडदान कर पूर्वजों के मोक्ष की कामना कर रहे हैं। इन्हीं हजारों पिंडदानियों के बीच एक दंपती भारत-पाकिस्तान बंटवारे के हिंसा में मारे गए अपने 300 पूर्वजों के लिए गयाश्राद्ध किया गया। जम्मू-कश्मीर के रजौरी बॉर्डर पर डुंगी बरमना गांव के राजकुमार गयाधाम में सात दिन रहकर पत्नी सत्या देवी के साथ पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण किया। फल्गु से शुरू होकर अक्षयवट में गयाश्राद्ध संपन्न किया।
पाकिस्तान के सुहाना में जन्म हुआ, जम्मू-कश्मीर के रजौरी में कट रही जिंदगी
राजकुमार शर्मा ने बताया कि उनका जन्म बंटवारा से पाकिस्तान के सुहाना में हुआ। हिंसा के वक्त वे करीब दो साल के रहे होंगे। बटवारा होते ही पाकिस्तान में रहने वाले उनके तीन गोत्र के 300 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। जवान लड़कों को मार दिया गया। सिर्फ बूढ़े और बच्चे छूटे थे। उन बच्चों में मैं भी था। जो परिजन बचे थे, वह किसी तरह मुझे साथ लेकर रजौरी डूंगी बरमना इंडिया बॉर्डर पर लेकर आए। तब से वहीं रह रहा हूं। बताया कि इससे पहले 1991 व 2001 में भी यहां आ चुका हूं। सालों मेहनत कर सभी पूर्वजों का रिकॉर्ड खंगाला। जब सभी पूर्वजों के नाम मिल गए तो 23 बाद इस पितृपक्ष गयाधाम आकर पिंडदान किया। श्री शर्मा ने बताया कि छह दिन पहले पत्नी और रिश्तेदार के साथ गयाजी आए। सात दिनों तक सभी पूर्वजों के नाम लेकर उन्हें याद कर गयाश्राद्ध कर सभी के मोक्ष की कामना की। बुधवार को अक्षयवट में सुफल लेने के बाद वापस लौट जाऊंगा।
तीन गोत्र के तीन सौ पूर्वजों के मोक्ष के लिए सात दिनों तक पिंडदान
राजकुमार शर्मा अपने साथ तीन गौत्र के करीब 300 पूर्वजों का लिस्ट लेकर गया आए। रेवेन्यू रिकॉर्ड, जमीनी रिकॉर्ड से, हरिद्वार और गया के पुरोहित की मदद से पूर्वजों के नाम खोजे हैं। शर्मा ने बताया कि भारत-पाकिस्तान बंटवारा के हुई हिंसा में मारे गए पूर्वजों का लिस्ट है। बताया कि उस वक्त की हिंसा में बच्चे और बूढ़े को छोड़ दिया गया था। मात्र 10 फीसदी हिन्दू ही बचे थे। श्री शर्मा ने बताया कि पूर्वजों के ऋण चुकाने के लिए गयाधाम आया। सात दिनों रुक-रुक विभिन्न वेदियों पर पिंडदान कर पिता व दादा सहित अन्य पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। बताया कि उनकी पत्नी सत्या देवी व दो-तीन अन्य रिश्तेदार भी साथ आए हैं। रिश्तेदारों ने भी हमारी तरह अपने कुल के लिए पिंडदान किया। रिफ्यूजी कैंप में स्वाभाविक मौत वालों के लिए भी पिंडदान किया गया।