नालंदा यूनिवर्सिटी और पितृपक्ष मेला देख बोले फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ बोले- यह वास्तविक विरासत
थिएरी मथौ ज्ञान की धरती नालंदा को देख अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा कि यह वास्तविक विरासत है। नालंदा से वे गया पहुंचे। गया पहुंचकर पितृपक्ष मेला की व्यवस्था देखी और रीति रिवाज को समझा। 19 से 22 सितंबर तक बिहार दौरे पर आए।
फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ चार दिवसीय दौरे पर बिहार में हैं। शनिवार को राजगीर में विश्व शांति स्तूप और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष का दीदार किया। वहां मौजूद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम के साथ उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने पर चर्चा की। फ्रांसीसी राजदूत नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचकर काफी खुश हुए। बाद में सोशल मीडिया अपने एक्स हैंडल पर इसकी चर्चा की और अपनी भावना का इजहार किया।
थिएरी मथौ ज्ञान की धरती नालंदा को देख अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा कि यह वास्तविक विरासत है। नालंदा से वे गया पहुंचे। गया पहुंचकर पितृपक्ष मेला की व्यवस्था देखी और रीति रिवाज को समझा। 19 से 22 सितंबर तक बिहार दौरे पर आए थियरी मथौ ने पितृपक्ष मेला की व्यवस्था और तर्पण व पिंडदान देखने की इच्छा जाहिर की थी। इसी के तहत उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय के बाद गया का भ्रमण कराया गया।
नालंदा और गया का भ्रमण करने के बाद फ्रासीसी राजदूत ने ‘एक्स’पर ट्विट कर लिखा है-‘यूनेस्को विश्व विरासत स्थल ज्ञान के प्राचीन केंद्र नालंदा महाविहार में उपस्थित होकर और राजगीर में विश्व शांति स्तूप का दौरा करके खुशी हो रही है।’
नालंदा विश्वविद्यालय भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य प्राचीन नालंदा महाविहार की विरासत को पुनर्जीवित करना है। यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। फ्रांसीसी राजदूत के इस दौरे से भारत और फ्रांस के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी को और मजबूती मिलेगी।